भस्मासुर कंकड से उत्पन्न एक शिवभक्त दैत्य जिसे यह वरदान था कि जिस किसी के ऊपर वह अपना हाथ रख देगा, वह भस्म हो जायगा। एक बार यह पार्वती जी पर आसक्त हो गया और शंकर जी को जला देने के लिए उनके पीछे दौड़ा। वे भागकर विष्णु के पास पहुँचे तो विष्णु ने मोहिनी रूप धारणकर भस्मासुर से कहा ¾ 'मैं पार्वती हूँ और तुम्हारे प्रेम को स्वीकार करती हूँ। परंतु तुम्हें मुझे एक नाच दिखाना पड़ेगा'। यह सुनकर राक्षस परम प्रसन्न हुआ और मस्त होकर नाचने लगा। परंतु पार्वती ने कहा ¾ 'ऐसा नाच नहीं, अपना एक हाथ अपने सिर पर और दूसरा अपने पुट्ठों के नीचे रखकर 'मुक्त निद्रा' में नाचों।' प्रेम में पागल भस्मासुर ने जैसे ही अपना एक हाथ सिर पर रखा कि वह वहीं भस्म हो गया और शिवजी की चिंता समाप्त हुई। (रामाज्ञा द्विवेदी)