भरत इस नाम के पाँच प्रसिद्ध व्यक्ति हुए हैं जिनमें मुख्य दाशरथि राम के परम उपासक एवं भक्तशिरोमणि कैकेयीसुत हैं। पहले भरत तो प्रथम मन्वंतर के एक राजा थे जो विष्णुभक्त थे, दूसरे वैदिक भरत योद्धा एवं राजा थे जिनके नाम पर एक मानवकुल प्रसिद्ध है (वै. माई. ऋ. ३.३३.११-१२), तीसरे अयोध्या के भरत अपने नाना केकयराज अश्वपति के ही साथ प्राय: रहे और वहीं उनकी शिक्षा दीक्षा हुई। इनका ब्याह जनकपुर की मांडवी से हुआ था और इन्होंने अपने राज्यकाल में तीन करोड़ गंधवों को मारकर उनके देश पर अधिकार किया था। चौथे भरत चंद्रवंशी राजा पुरु के वंश के दुष्यंत एवं शकुंतला के पुत्र भरत दौष्यंति थे। इन्हीं की नवीं पीढ़ी में कुरु हुए जिनके वंशज कौरव कहलाए। भारतवर्ष शब्द इन्हीं के नाम पर बना बतलाया जाता है। पाँचवें भरत प्रसिद्ध ऋषि ओर नाट्यशास्त्र के प्रणेता तथा आचार्य थे। इनके अतिरिक्त इस नाम के एक अन्य ऋषि भी थे (दे. जड़भरत)। (रामाज्ञा द्विवेदी)