ब्रैग (Bragg) १. सर विलियम हेनरी, ओ. एम. (सन् १८६२-१९४२), ब्रिटिश भौतिकीविद्, का जन्म इंग्लैंड के कंबरलैंड काउंटी में स्थित विग्टन नामक ग्राम में हुआ था। आपकी शिक्षा केंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में पूर्ण हुई तथा आप ऐडिलेड (दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया) में गणित तथा भौतिकी के प्रोफेसर नियुक्त हुए।

यहाँ इन्होंने रेडियोऐक्टिवता पर अनुसंधान आरंभ किए। इन अनुसंधानों से ये प्रसिद्ध हो गए। सन् १९०९ में आप लीड्स में कैवेंडिश प्रोफेसर तथा सन् १९१५ में लंदन युनिवर्सिटी के क्वेन प्रोफेसर नियुक्त हुए। अपने पुत्र सर विलियम लॉरेंस ब्रैग के सहयोग से आपने एक्स-रे-स्पेक्ट्रोमीटर का विकास किया तथा इस यंत्र की सहायता से परमाणुओं और क्रिस्टलों के विन्यासों को स्पष्ट किया। सन् १९१५ में इन्हें तथा इनके उपर्युक्त पुत्र को संयुक्त रूप से भौतिकी का नोबेल पुरस्कार और कोलंबिया विश्वविद्यालय का बारनर्ड स्वर्णपदक प्रदान किया गया।

प्रथम विश्वयुद्ध के समय पनडुब्बी नावों का पता लगाने की समस्याओं के संबंध में ब्रिटिश नौसेना को आपने सहायता दी। आप सन् १९२८-२९ में ब्रिटिश ऐसोसिएशन फॉर दि ऐडवान्स्मेंट ऑव सायंस के तथा सन् १९३५-४० तक रॉयल सोसायटी के प्रेसिडेंट थे। रेडियोऐक्टिविटी तथा क्रिस्टल विज्ञान पर अनेक प्रकाशनों के सिवाय ध्वनि, प्रकाश तथा प्रकृति संबंधी आपके अन्य ग्रंथ भी हैं।

ब्रैग, २. सर विलियम लॉरेंस (१८९०-१) पूर्वचर्चित ब्रैग के पुत्र थे। इनका जन्म ऐडिलेड (ऑस्ट्रेलिया) में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा इसी नगर में पाने के पश्चात् सन् १९१६ में आप केंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज के फैलो हो गए।

अपने पिता के साथ एक्स-रे-स्पेक्ट्रोमीटर की सहायता से आपने अनेक प्रकार के क्रिस्टलों की रचना की खोज की। इस कार्य के लिए इन्हें और इनके पिता को संयुक्त रूप से भौतिकी का नोबेल पुरस्कार तथा बारनर्ड स्वर्णपदक मिले। सन् १९१९ से १९३७ तक आप विक्टोरिया विश्वविद्यालय (मैंचेस्टर) में भौतिकी के लैंगवर्दी प्रोफेसर तथा सन् १९३७-३८ में नैशनल फिजिकल लेबोरेटरी के निदेशक थे तथा सन् १९३८ में कैंब्रिज विश्वविद्यालय में प्रायोगिक भौतिकी के कैवेंडिश प्रोफेसर नियुक्त हुए।

क्रिस्टल संरचना पर आपने कई एक महत्व के निबंध लिखे हैं। विद्युत, क्रिस्टलों की संरचना तथा खनिजों की परमाणवीय संरचना पर भी आपने पुस्तकें लिखी हैं। (भगवान दास वर्मा)