ब्रिजेज़, रार्बट (१८४४-१९३०) के जीवन तथा उनकी साहित्यिक कृतियों में समता इस बात की है दोनों में मौलिक तत्व शांति है। उनके जीवन की रोचक घटनाएँ भीतिक नहीं अपितु साहित्यिक हैं। उनके जीवन का आरंभ चिकित्सक के व्यवसाय से हुआ परंतु उनका स्वाभाविक झुकाव सदैव साहित्य की ओर रहा और सन् १८८२ में अपने व्यवसाय को त्याग कर उन्होंने साहित्यसेवा में ही जीवन अर्पित कर दिया। उनकी कला उच्च कोटि की थी कि वे अपने जीवन में कभी भी लोकप्रिय लेखक न हो सके, परंतु उनकी साहित्यसाधना बराबर चलती रही, यद्यपि ख्यातिप्राप्ति के लिए उन्होंने अनेक फुटकल कविताओं का सृजन किया, जिनका संकलन 'शॉर्टर पोएम्स' के नाम से हुआ। १८७६ में 'ग्रोथ ऑव लव' का प्रकाशन हुआ जो बाद में काफी संवर्धित किया गया। इन शृंखलाबद्ध सॉनटों में उन्होंने वैज्ञानिक विचार के विरुद्ध कला के महत्व का प्रतिपादन किया है। इसके बाद कुछ पौराणिक कथाओं का आश्रय लेकर उन्होंने लंबी काव्यगाथाओं का निर्माण किया ¾प्रीमेयिएयस दि फ्रायरगिवर (१८८३) और 'ईरॉस ऐंड साइकी' (१८८५)। इसके साथ ही साथ उनके गीत काव्यों की रचना भी जारी रही और इन्हीं काव्यों में उनकी प्रतिभा उत्तरोत्तर विकसित होती रही। इसके पश्चात् १० वर्ष तक उन्होंने पद्यनाटकों का निर्माण करने का असफल प्रयास किया, जिसके फलस्वरूप नीरो, दि रिटर्न ऑव यूलीसीज़ तथा देमितर का सृजन हुआ।

महाकवि मिल्टन के छंदसिद्धांतों का गहरा अध्ययन करने के पश्चात् उन्होंने 'मिल्टन्स प्रोसोडी' नामक समीक्षाग्रंथ प्रकाशित किया। उनका छंदप्रयोग भी चलता रहा और उन्होंने प्राचीन तथा आधुनिक प्रणालियों का समन्वय करने का वर्षों तक लगातार प्रयत्न किया। उनकी साधना मनीषियों की पैनी दृष्टि से छिपी न रह सकी और सन् १९१३ में 'राष्ट्रकवि' की उपाधि से इन्हें विभूषित कर इंग्लैंड की सरकार ने अपनी गुणग्राहकता का परिचय दिया। ब्रिजेज के व्यापक अध्ययन, विस्तृत अनुभव तथा दार्शनिक गरिमा एवं काव्य-कला-मर्मज्ञता का पूर्ण समावेश उनके दीर्घकाय तथा गंभीर काव्य 'दि टेस्टामेंट ऑव ब्यूटी' (१९२९) में हुआ है, जो अपने युग का सर्वोत्कृष्ट दार्शनिक काव्य माना गया था। परंतु वर्तमानकालीन समीक्षकों का कहना है कि लंबे काव्य के कुछ अंश ही उत्कृष्ट हैं, समस्त कविता सर्वांग सफल, सुंदर तथा सुगठित नहीं है। ब्रिजेज़ की सर्वाधिक प्रसिद्ध तथा लोकप्रिय कविताएँ उनके गीतकाव्य में हैं और इन्हीं पर उनके स्थायी यश की भित्ति स्थिर रहेगी। परंतु इनके गीतकाव्यों में नैसर्गिक गायक के भावोद्गार तथा अनियंत्रित उत्साह, उल्लास अथवा आंतरिक रुदन नहीं है। यद्यपि यह महाकवि कीट्स की कविता से काफी प्रभावित रहे, तथापि इनका विशेष ध्यान कीटस के कलापक्ष की ही ओर गया, भावों को उन्होंने सदैव मर्यादा तथा अनुशासन की सीमा के अंतर्गत ही रखा। इसी कारण एक समालोचक ने कहा है कि ब्रिजेज़ की सर्वोत्कृष्ट कृतियों में वह सौंदर्य है जो वसंत के प्रभात में निहित रहता है, वह प्रभात जिसमें रजत की धवल कांति है परंतु उष्णता की रक्तिम आभा नहीं है।

ब्रिजेज़ सौंदर्य के उपासक थे। इनका आनंद दार्शनिक तथा साहित्य अथवा सौंदर्य पुजारी का था जो हृदयांतर को अलौकिक करता था परंतु अशांत करने में असमर्थ था। इन्हीं गुणों के कारण इनके गीतकाव्य, जैसे 'लंडनस्नो', 'दि नाइटिंगेल्स', 'दि वॉयस नेचर' इत्यादि इतने सर्वप्रिय हैं।

सं. ग्रं. ¾ एफ. ब्रैंट : रॉबर्ट ब्रिजेज़ ¾ ए क्रिटिकल स्टडी, (१९१४), जी. एस. गार्डन : राबर्ट ब्रिजेज (१९३२) एडवर्ड टॉम्सन : राबर्ट ब्रिजेज़ (१९४४)। (विक्रमादित्य राय)