बौदले, चार्ल्स (१८२१-१८६७) फ्रांस का एक अतिप्रसिद्ध कवि तथा प्रतीकवादी आंदोलन का अग्रदूत। आधुनिक कविता को उसने बहुत बड़े अंश तक प्रभावित किया है। पेरिस के संपन्न परिवार में जन्म लिया। बचपन में ही उसके पिता की मृत्यु हो गई, और उसकी माँ ने पुनर्विवाह कर लिया। माँ के पुनर्विवाह का भावुक बालक बौदले पर गहरा प्रभाव पड़ा जिससे परिवार के साथ उसका संबंध तनावपूर्ण हो गया। १८५७ में उसने अपनी १०० कविताओं के संकलन 'फ्लावर्ज़ ऑव एविल' का प्रथम संस्करण प्रकाशित किया। दूसरे संस्करण (१८६१) में उसने इसमें ३२ कविताएँ और जोड़ दीं। न्यायालय के एक निर्णय के अनुसार छह कविताएँ प्रथम संस्कण से उसे निकाल देनी पड़ीं। उसके गद्यगीतों का संकलन 'शार्ट प्रोज़ पोएम्स' के नाम से उसकी मृत्यु के पश्चात् १८६९ में प्रकाशित हुआ।

बौदले ने अंत समय तक दु:खपूर्ण जीवन ही बिताया। आर्थिक कठिनाइयों, विषम स्वास्थ्य और पराजय की कुंठा ने उसके विषाद को अधिक गहरा कर दिया था। उसकी कविताओं में एक नई गीतिव्यंजना अभिव्यक्त हुई। वेदना, निर्वासन, कालसंक्रमण और पवित्रता तथा सौंदर्य के अप्राप्तव्य आदर्श से उत्पन्न उद्वेग उसकी कविता में प्रधान विषय थे। वह कविता में विशेष आकर्षण उत्पन्न करने के लिए जब तब अप्रचलित शब्दों का प्रयोग करता था, किंतु प्राय: वह साधारण शब्दों के प्रयोग में ही अपनी गंभीर भावुकता से असामान्य चमत्कार भर देता था। उसके काव्यचित्रों की मौलिकता और गहनता अतुलनीय है। उसने भिन्न भिन्न संवदेनाओं के संयोग से प्रतीकों का विस्तार किया है। उसका एक अत्यंत प्रसिद्ध सानेट 'करेसपांडेस' अनेक तत्संवादी प्रतीकों से व्यक्त होनेवाली प्रकृति की व्यापक एकरूपता पर बल देता है।