बोर, नील्स हेनरिक डेविड (Bohr, Niels Henrik David) परमाणु संरचना संबंधी कार्य के लिए विख्यात, अमर, भौतिकी वैज्ञानिक का जन्म ७ अक्टूबर, १८८५ ई. को कोपेनहेगेन में हुआ था। इनके पिता यहाँ के विश्वविद्यालय में शरीरक्रिया विज्ञान के प्राध्यापक थे। १९०३ ई. में ये कोपनहेगन विश्वविद्यालय में भर्ती हुए। १९११ में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की। डॉक्टर की उपाधि के लिए इन्होंने धातुओं के गुण और इलेक्ट्रानीय सिद्धांत पर काम किया था। १९११ ई. में बोर ने कैंब्रिज प्रयोगशाला में जे. जे. टॉमसन के निरीक्षण में तथा १९१२ ई. में मैंचेस्टर में प्रो. रदरफोर्ड की अध्यक्षता में अनुसंधान किए। १९१३-१४ ई. में ये कोपेनहेगेन विश्वविद्यालय में भौतिकी के लेक्चरर तथा १९१४-१९१६ ई. तक मैंचेस्टर में गणितीय भौतिकी के रीडर रहे। १९१६ ई. में इनकी नियुक्ति कोपेनहेगेन में सैद्धांतिक भौतिकी के प्रोफेसर के पद पर हुई। १९२० ई. में एक नया इंस्टिट्यूट सैद्धांतिक भौतिकी का बना, जिसके ये अध्यक्ष बनाए गए।
बोर को १९२२ ई. में परमाणु संरचना और परमाणुओं से निकले विकिरण के संबंध में नोबेल पुरस्कार मिला। रदरफोर्ड ने परमाणु के भीतर विद्यमान न्युक्लिअस, या धनात्मक नाभिक, की कल्पना प्रस्तुत की थी। बोर ने १९१३ ई. में यह बताया कि इस नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन उसी प्रकार चक्कर लगाते हैं, जैसे सूर्य के चारों ओर ग्रह। जब ये इलेक्ट्रॉन एक परिधि से दूसरी परिधि पर जाते हैं। तो दोनों परिधियों से संबंध रखनेवाली ऊर्जाओं में जितना अंतर पड़ता है, उतनी ऊर्जा विकिरण के रूप में प्राप्त होती है। बोर की इस कल्पना ने परमाणु संरचना के क्षेत्र में नया युग आरंभ किया।
बोर की प्रयोगशाला में परमाणुविच्छेद संबंधी कार्य भी हुए। १५ जनवरी, १९३९ ई. को बोर की इस प्रयोगशाला में प्रो. हान (Hahn), लिसे माइटनर (Lise Meitner) और फ्रश के परमाणु विखंडन संबंधी सफल प्रयोगों की पुष्टि की। इसी वर्ष बोर द्वितीय महायुद्ध से पीड़ित होकर संयुक्त राज्य, अमरीका, पहुंच गए थे। बोर को परमाणु विखंडन की महत्ता स्पष्ट हो गई और इन्होंने अमरीका के वैज्ञानिकों को इस कार्य को व्यावहारिक रूप देने के लिए प्रेरित किया। २६ जनवरी, १९३९ ई. को बोर ने वाशिंगटन में सैद्धांतिक भौतिकी की एक कॉन्फ्रसें में वैज्ञानिकों को परमाणु विखंडन से प्राप्त ऊर्जा के उपयोग के लिए संघटित किया। फर्मी आदि विख्यात वैज्ञानिकों के सहयोग से अंत में वे सफल प्रयोग हम लोगों के समक्ष आए, जिन्होंने परमाणु बम को जन्म दिया। बोर मार्च, १९३९ ई. को डेनमार्क लौटे। परमाणु बम प्रयोग की प्रेरणाएँ अमरीकी सरकार ने बोर औरश् आइन्सटाइन से पाईं, जिनके फलस्वयप ६ अगस्त, १९४५ ई. को हिरोशिमा इस बम का सर्वप्रथम शिकार हुआ।
बोर संसार के मूर्धन्य वैज्ञानिकों में माने जाते रहे हैं और सैद्धांतिक भौतिकी के ये प्रकांड पंडित थे। संसार के सभी देशों ने बोर को सम्मानित किया। अनेक विश्वविद्यालयों ने इन्हें डॉक्टर की उपाधि भेंट कर अपने को गौरवान्वित किया। १८ अक्टूबर, १९६२ ई. को नील्स बोर की मृत्यु हो गई। (सत्य प्रकाश )