बैनर्जी, गुरुदास का जन्म २६ जनवरी १८४४ को कलकत्ता में हुआ। आपकी शिक्षा कलकत्ता के हेयर स्कूल, प्रेसीडेंसी कालेज और कलकत्ता विश्वविद्यालय में हुई। गणित विषय में एम. ए. (१८६४ में) और बी. एल. (१८६५ में) परीक्षाएँ पास कीं। एम. ए. परीक्षा में स्वर्णपदक भी प्राप्त किया। पहले आप बहरामपुर कालेज में कानून विषय के प्राध्यापक हुए किंतु १८७२ से कलकत्ता हाईकोर्ट में वकालत करने लगे। १८७६ में कानून विषय में डाक्टरेट की उपाधि अर्जित की। १८७८ में आप कलकत्ता विश्वविद्यालय में 'टैंगोर ला प्रोफेसर' नियुक्त हुए और इस रूप में आपने 'हिंदू विवाह कानून और स्त्रीधन' विषय पर व्याख्यान दिए। आप १८७९ में कलकत्ता विश्वविद्यालय के 'फेलो' चुने गए और १८८७ में बंगाल लेजिस्लेटिव कौंसिल के सदस्य बनाए गए। १८८८ में आप कलकत्ता हाईकोर्ट के जज नियुक्त हुए। १८९०-१८९३ तक आप कलकत्ता विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रहे। सन् १९०२ में 'इंडियन यूनिवर्सिटीज़ कमीशन' के सदस्य बनाए गए। सन् १९०४ में आपने सरकारी नौकरी से अवकाश ग्रहण किया और उसी वर्ष आपको नाइटहुड ('सर') की उपाधि प्रदान की गई। आपने 'ए फ्यू थाट्स आन एजूकेशन' नामक ग्रंथ की रचना की।