बेल्जियम स्थिति : ५१३० उ.अ. तथा ५ पू.दे.। यूरोप महाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी किनारे पर स्थित एक देश है। इसका क्षेत्रफल १,११३ वर्ग मील है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत के हिमाचल प्रदेश से कुछ बड़ा है। इसके उत्तर और उत्तर-पूर्व में नीदरलैंड्स, पूर्व और दक्षिण-पूर्व में जर्मनी एवं लक्सेमबर्ग, दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम में उत्तरी सागर स्थित है। घनी जनसंख्या एवं पुरानी सभ्यता इस देश की विशेषताएँ हैं।

प्राकृतिक दशाएँ - बेल्जियम को तीन प्राकृतिक भागों में बाँटा जा सकता है : १. फ्लैंडर्ज़ और कैपाइन - सागरतट के बाँधों और बालुकास्तूपों के पूर्व में सागर सतह के निचले हिस्से को पोल्डर कहते हैं। छिछले समुद्र में बाँध लगाकर पवन चक्कियों द्वारा पानी को

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बाहर समुद्र में निकालकर यह भूमि प्राप्त की गई है। इसके दक्षिण-पूर्व की समतल भूमि को फ्लैडर्ज़ कहते हैं। बेल्जियम का उत्तर-पूर्वी (कैपाइन) क्षेत्र मुख्यत: बंजर है। २. बीच का मैदान और निचला पठार - यह पहले विभाग के दक्षिण-पूर्व में है। यहाँ की मिट्टी काफी उपजाऊ है। बेल्जियम के प्रधान नगर यहीं पर स्थित हैं। ३. दक्षिणपूर्व का आर्डेन (Ardennes) प्रदेश - यह जंगलों से भरा क्षेत्र है जो १,००० से २,००० फुट तक ऊँचा है।

यहाँ की नदियों में मज़, सांब्र, स्खेल्डे, एवं लीस प्रमुख हैं जो दक्षिण-पूर्व में फ्रांस से निकलकर उत्तर-पश्चिम दिशा में बहती हुई नीदरलैंड्स में जाकर उत्तरी सागर में गिर जाती है।

जलवायु - यहाँ की जलवायु सम है, न जाड़ों में अधिक सर्दी और न गर्मी में अधिक गर्मी ही पड़ती है। यहाँ का औसत ताप १०सें. है। जाड़े में ताप हिमांक एवं गर्मी में २१सें. तक शायद ही पहुँचता है। वार्षिक वर्षा का औसत ३५ इंच है। यहाँ पतझड़ में पाए जानेवाले तथा कोणधारी दोनों प्रकार के पेड़ मिलते हैं।

जनसंख्या - बेल्जियम की जनसंख्या है। यह यूरोप में नीदरलैंड्स के बाद सबसे घनी जनसंख्यावाला देश है। ब्रसल्ज़, ईस्ट फ्लैंडर्ज़, वेस्ट फ्लैंडर्ज़, लिएज़, ब्राबैंट, एनो (Hainaut), लिंबर्ग, चार्लराय तथा नामुर यहाँ के प्रसिद्ध नगर हैं।

कृषि - देश की ६० प्रतिशत भूमि पर खेती होती है। जौ, गेहूँ, जई, आलू और चुकंदर यहाँ की प्रधान उपजें हैं। कृषि का तरीका उन्नत है। चरागाह अधिक होने के कारण खासकर दूध देनेवाले पशु अधिक पाले जाते हैं।

उद्योग - यह औद्योगिक देश है। कुशल कारीगर, घनी जनसंख्या तथा उत्तम यातायात आदि औद्योगिक उन्नति के प्रमुख कारण हैं। लोहा, इस्पात तथा कपड़े बनाने के उद्योग प्रमुख हैं। इनके अतिरिक्त, रसायनक, जस्ता, चमड़े के सामान तथा शराब बनाने के उद्योग भी होते हैं। ऐंटवर्प में हीरा तराशा जाता है।

खनिज - यहाँ का प्रधान खनिज कोयला है किंतु खुदाई खर्च अधिक होने के कारण उत्पादन कम होता जा रहा है। कोयला, सांब्र और मज़ नदियों की घाटियों तथा कैंपाइन प्रदेश में मिलता है।

यातायात - बेल्जियम में यातायात का जाल संसार के सब देशों से घना है। ऐंटवर्प विश्व के प्रसिद्ध बंदरगाहों में से है। यहाँ हवाई यातायात, टेलिफोन, बेतार के तार तथा टेलिविजन का काफी विस्तार हुआ है।

इतिहास - देश का नामकरण यहाँ के प्राचीन केल्टिक निवासियों वेलजे (Belgae) के नाम पर हुआ है। जूलियस सीजर ने ५१ ई.पू. में इलाके को जीतकर अपने राज्य में मिला लिया था। तब से करीब पाँच शताब्दियों तक यह रोमन साम्राज्य में रहा। तब से करीब १४वीं शताब्दी तक देश छोटी छोटी रियासतों में बँटा रहा तथा लड़ाइयाँ होती रहीं। लेकिन मध्ययुग में कम्यूनों का विकास हुआ तथा धीरे धीरे संपन्नता आने लगी और १४वीं-१५वीं शताब्दी में तो फ्लैंडर्स को 'पश्चिमी यूरोप का आर्थिक केंद्र कहा जाता था। १३८४ में यह इलाका बरगंडी के राजा फिलिप द बोल्ड को दहेज में मिला जिसने एकतंत्र राज्य की नींव डाली। बाद में शाही विवाहों द्वारा बेल्जियम (१५७७ ई. में) आस्ट्रिया में और फिर स्पेन में मिल गया।

१६वीं शताब्दी से १८३०ई. तक बेल्जियम पड़ोसी देशों की अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में उपहार स्वरूप था। सन् १७१३ में यह आस्ट्रिया के और १७९७ में फ्रांस के अधीन चला गया। नेपोलियन के पतन के बाद वियना काँग्रेस के निर्णयानुसार यह निदरलैंड का एक प्रांत बन गया परंतु भाषा, धर्म, रहन सहन तथा रीति रिवाजों की भिन्नता के कारण बेल्जियमवालों ने रोजियर के नेतृत्व में आजादी की घोषणा कर दी। २१ जुलाई, १८३१ को संविधान के अनुसार राजकुमार ल्योपोल्ड को राजगद्दी पर बैठाया गया। इसी तिथि को वहाँ स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। ल्योपोल्ड प्रथम ने देश को संगठित कर नियमित शासनव्यवस्था की नींव डाली।

ल्योपोल्ड द्वितीय ने अफ्रीका में कॉगो फ्री स्टेट या बेलजियन कांगो की स्थापना की। १९१४ में जर्मनी ने चढ़ाई कर फ्लैंडर्स के उत्तर पश्चिम के छोटे से इलाके को छोड़कर सारे बेल्जियम पर अधिकार कर लिया। पर बाद में यह फिर स्वतंत्र हो गया।

१० मई, १९४० ई. की चढ़ाई में जर्मनी ने बेल्जियम को फिर जीत लिया। पर ३ सितंबर, १९४४ ई. को मित्रराष्ट्रों ने इसको आजाद कर दिया। १९४५ ई. में राजकुमार चार्ल्स राजा बनाया गया।

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बेल्जियम तीव्र गति से उन्नति करने लगा। १९४२ ई. में इसने नेदरलैंड और लक्जेमवर्ग के साथ मिलकर बेनेलक्स (बेल्जियम नेदरलैंड लक्जेमवर्ग) चुंगी संघ का संघटन किया। १९४९ ई. में यह उत्तरी अटलांटिक संधि संघ (नाटो) का सदस्य बना। १९५७ में पश्चिमी यूरोप के पाँच देशों के साथ यह यूरोपीय कोयला और इस्पात समुदाय का तथा १९५७ ई. में यूरोपीय साझा बाजार का सदस्य बना। कुल मिलाकर देश इन संघों और समुदायों की सहायता से काफी उन्नति कर रहा है। १९६० ई. में तो इसने बेल्जियम कांगो के उपनिवेश को भी आजाद कर दिया है हालाँकि इससे इसको कुछ आर्थिक क्षति हुई है। (श्रीकांतनंदन प्रसाद सिंह)