बेल (बाल) प्रधान बाबुली देवता, जिसका अनेक जातियों में अनेक देवतापरक अर्थों में उपयोग हुआ है। सामी बाबुली भाषा में 'बेल' का अर्थ होता था, स्वामी। बेल विशेषत: प्रजनन और उपज का देवता था, वैसे बाबुलियों में उसका आदर देवराज के रूप में होता था। बाबुल और निकटवर्ती नगरों में बेल के अनेक मंदिर थे जिनमें उसकी मूर्तियाँ थीं। उसके स्वामी अथवा शीर्षस्थ होने से ही इब्रानी में 'बाल' का अर्थ केश या केशयुक्त पुरुष हुआ। बाल का अर्थ इब्रानी में पंख, पक्षयुक्त प्राणी और बाण या बाणयुक्त व्यक्ति अर्थात् तीरंदाज भी है।

बाइबिल में 'बाल' का उपयोग स्वामी अथवा पंख के विशेषण के रूप में अनेक बार हुआ है। जब तक बाबुलियों का प्रभाव यहूदियों, फिनीशियों आदि पर रहा, उन्होंने इस शब्द का देवार्थ में प्रयोग किया और इसी कारण बाइबिल की पुरानी पोथी में इसका बार बार उल्लेख हुआ है। फिर उसी साधन और अनुष्ठान क्रियाओं के माध्यम से दक्षिण-पूर्वी यूरोपीय देशों में भी उर्वरता की देवी आश्तोरोथ (आस्तार्ते, ईश्तर) के साथ साथ (जिससे ग्रीकों और रोमनों की प्रेमदेवियाँ आफ्रोदीती और वीनस जनमीं) बाल की पूजा का श्रीगणेश हुआ। इसी प्रकार कार्थेजी (फिनीशी) हानिबाल और हस्द्रुबाल में भी उसी देवता का नाम ध्वनित है। खत्तियों (मिस्त्री फराउन रामसेजकालीन) में भी बाल की आराधना हुई और मिस्त्र में बाल तथा अस्तातें दोनों पूजे गए। बाल ने फिर ग्रीकों में 'बेलोस्' का रूप लिया जिसका एक रूप स्वयं ज़िअस, दूसरा हैरेक्लीज़ माना गया। असीरिया ने बाबुल की जब सारी सांस्कृतिक संपदा अपना ली तो बैल उसका भी आराध्य बना। (भगवत शरण उपाध्याय)