बेर्नुलि संख्याएँ यह नाम भिन्नों की एक श्रेणी को दिया जाता है, जैसे १/६, १/३०, १/४२, १/३०, ५/६६.....आदि, जिसको क्रम से ब१, ब२, ब३, ब४, ब५.....[B1, B2, B3, B4, B5...], या उचित समझा जाए तो व२, व४, [B2, B4,] आदि चिह्नों से दर्शाया जाता है।
जेकब बेर्नुलि (Jacob Bernoulli) ने इस श्रेणी का प्रतिपादन किया था तथा उन्होंने इसका उपयोग प्रथम य (x) पूर्णांकों के न (n) घातों का योग निकालने के लिए निम्न प्रकार से किया :
योन=१+२न+.....+यन=
[Sn=1+2n+......+xn=]
इस संख्याओं का उपयोग संख्याओं के सिद्धांत, अंतरकलन तथा निश्चित समाकलों के सिद्धांत से संबंधित गणितीय निर्धारणों में किया जाता है।
श्
के प्रसार में
गुणांकों के सदृश भी इनका उपयोग होता है।
(भगवान दास वर्मा)