बर्तोलौत्जी फ्रांसेस्को (१७२५-१८१५) फ़्लारेंस के समीप एक देहात में इस इतालीय कलाकार का जन्म हुआ। पिता चाँदी के बर्तनों पर खुदाई करते थे। चित्रकला की ओर बेतोंलोत्ज़ी की रुचि अधिक होने पर भी पिता ने उन्हें वेनिस के जोजेफ वैग्नर के पास खुदाई की कला सीखने भेज दिया। वे कुछ दिन रोम में रहे, वहाँ उन्होंने सान नील्स की नवीन कथा से संबंधित कुछ तश्तरियाँ बनाईं। जार्ज़ तृतीय के आश्रय से वे सनद्य १७६४ में लंदन में स्थायी हो गए तथा वहाँ वे रॉयल अकादमी के सदस्य भी रहे। सन् १८०२ में पुर्तगीज राकुमार रीजेंट ने उन्हें लिस्बन में बुलाकर 'एनग्रेविंग स्कूल' का अधीक्षक बना दिया। वे अंत तक वहीं रहे। (भाऊ समर्थ)