बेरी बेरी विटामिन बी१ की कमी से उत्पन्न कुपोषणजन्य रोग है। इसे पॉलिन्यूराइटिस इंडेंमिका, हाइड्रॉप्स ऐस्थमैटिक्स, काके, बारबियर्स आदि नामों से भी जानते हैं। संसार के जिन क्षेत्रों में चावल मुख्य आहार है, उनमें यह रोग विशेष रूप से पाया जाता है। इस रोग की विशेषताएँ हैं : (१) रक्तसंकुलताजन्य हृदय की विफलता और शोथ (आर्द्र बेरीबेरी) तथा (२) सममित बहुतंत्रिका शोथ, विशेषकर पैरों में, जो आगे चलकर अपक्षयी पक्षाघात, संवेदनहीनता और चाल में गतिभंगता लाता है (शुष्क बेरीबेरी)। तीव्र तथा उपतीव्र रूपों में यदि उचित मात्रा में आत्रेतर, रवेदार विटामिन बी१ रोग की प्रारंभिक अवस्था में दिया जाए, तो लाभ होता है, पर जीर्ण बेरी बेरी का उपचार उतना संतोषजनक नहीं है।
रोग कारण - विटामिन वर्ग में बी१ तंत्रिकाशोथ अवरोधी होता है और यह उसना चावल, कुटे और कम पालिश किए चावल में वर्तमान होता है। मशीन से पॉलिश करने में भूसी के साथ चावल के दाने का परिस्तर और अंकुर भी निकल जाता है और इसी भाग में बी१ प्रचुर मात्रा में होता है। पालिश किया चावल, सफेद आटा और चीनी में विटामिन बी१ नहीं होता। मारमाइट खमीर, अंकुरित दालों, सूखे मेवों और बीजों में बी१ बहुत मिलता है। अब संश्लिष्ट बी१ भी प्राप्य है। बी१ से शरीर में को-कार्बोक्सिलेज बनता है, जो कार्बोहाइड्रेट के चयापचय में उत्पन्न पाइरूविक अम्ल को ऑक्सीकरण द्वारा हटाता है। रक्त तथा ऊतियों में पाइरूविक अम्ल की मात्रा बढ़ने पर बेरीबेरी उत्पन्न होता है। यह बात रक्त में इस अम्ल की मात्रा जाँचने से स्पष्ट हो जाती है। इसकी सामान्य मात्रा ०.४ से ०.६ मिलीग्राम प्रतिशत है, जबकि बेरी बेरी में यह मात्रा बढ़कर १ से ७ मिलिग्राम प्रतिशत तक हो जाती है। इस दशा में यदि पाँच मिलीग्राम बी१ दे दिया जाए, तो १० से १५ घंटे में अम्ल की मात्रा घटकर समान्य स्तर पर आ जाती है। बी१ का अवशोषण शीघ्र होता है और सीमित मात्रा में यकृत, हृदय तथा वृक्क में इसका संचय होता है। इसी कारण कमी के कुछ ही सप्ताह बाद रोग उत्पन्न होता है।
विकृति - आर्द्र बेरीबेरी में ग्रहणी और आमाशय के निम्न भाग की श्लैश्मिक कला में तीव्र रक्तसंकुलता होती है और कभी कभी इससे छोटे छोटे रक्तस्त्राव भी होते हैं। परिधितंत्रिकाओं में अपकर्ष होता है। हृदय की मांसपेशियों में अपकर्षी परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं, विशेषकर दाईं ओर जहाँ वसीय अपकर्ष होता है। अपकर्ष के कारण यकृत का रूप जायफल सा हो जाता है। कोमल ऊतकों में शोथ तथा सीरस गुहाओं में निस्सरण होता है।
लक्षण - विटामिन बी१ की क्षीणता आरंभ होने के दो तीन मास बाद बेरी बेरी के लक्षण प्रकट होते हैं : बहुतंत्रिकाशोथ, धड़कन के दौरे, दु:श्वास तथा दुर्बलता। रोग जिस तंत्रिका को पकड़ता है उसी के अनुसार अन्य लक्षण प्रकट होते हैं। बेरी बेरी बार-बार हो सकती है।
प्रकार -
(१)��� सूक्ष्म (ऐंबुलेटरी) : इसमें रोगी सचल रहता है। पैर सुन्न होना, विभिन्न स्थलों का संवेदनाशून्य होना तथा जानु झटके में कमी इसके लक्षण हैं और आहार में बी१ युक्त भोजन का समावेश होने से रोग गायब हो जाता है।
(२)��� तीव्र विस्फोटक बेरी बेरी। यह सहसा आरंभ होती है। भूख बंद हो जाती है, उदर के ऊपरी भाग में कष्ट, मिचली, वमन, पैरों के सामने के हिस्से में संवेदनशून्यता और विकृत संवेदन, संकुलताजन्य हृदय विफलता, पक्षाघात और तीव्र हृदयविफलता के कारण कुछ घंटों से लेकर कुछ ही दिनों तक के अंदर मृत्यु।
(३)��� उपतीव्र या आर्द्र बेरी बेरी : इसमें विकृत संवेदन, हाथ में भारीपन, जानु झटके में आरंभ में तेजी और तब शिथिलता या पूर्ण रूप से अभाव। पिंडली में स्पर्शासह्यता, संवेदना का कुंद होना, अतिसंवेदन या संवेदनशून्यता, दुर्बलता, उठकर खड़े होने की असमर्थता, पैरों पर शोथ, दु:श्वास, श्वासाल्पता, धड़कन आदि लक्षण होते हैं।
(४)��� जीर्ण या शुष्क बेरी बेरी : इसमें शोथ नहीं होता, पाचन की गड़बड़ी भी नहीं मिलती, पर मांसपेशियाँ दुर्बल होकर सूखने लगती हैं। हृदय में क्षुब्धता, हाथ पैर में शून्यता, पिंडली में ऐंठन और पैर बर्फ से ठंढे रहते हैं। बैठने पर उठकर खड़ा होना कठिन होता है। वैसे पैर की एंडी झूला जा सकती है, या बड़े ऊँचे डग की चाल हो जाती है।
(५)��� बच्चों की बेरी बेरी : माता में बी१ के अभाव से।
(६)��� गौण बेरी बेरी : अन्य रोगों यथा पाचनयंत्र के दोष, शराबीपन, पैलाग्रा, गर्भावस्था, मधुमेह, ज्वर आदि के फलस्वरूप होती है।
(७)��� सहयोग बेरी बेरी : सर्वविटामिनहीनता या व्यापक पोषणहीनता-जन्य रोगों में इसका भी हिस्सा रहता है।
निदान - लक्षणों, पोषण के इतिहास, सावधानी से रोगी की परीक्षा एवं मूत्र में विटामिन बी१ की मात्रा देखकर, इसका निदान किया जाता है।
उपचार - बेरी बेरी न हो, इसके लिए उचित पोषण तथा बेरी बेरी जनक रुग्णावस्थाओं में अतिरिक्त मात्रा में बी१ देना आवश्यक है। चिकित्सा है, बी१ के अभाव की पूर्ति, और इसके लिए रवेदार विटामिन बी१ के इंजेक्शन लगाते हैं। (भानुशंकर मेहता)