बेंटिंक, लार्ड विलियम जन्म, १७७४ ई.; मृत्यु, १८३९। तृतीय ड्यूक ऑव पोर्टलैंड का द्वितीय पुत्र, विलियम बेंटिंक १४ सितंबर, १७७४ को जन्मा था। वह सरल, शिष्ट, तथा प्रगतिशील व्यक्ति था। १७ वर्ष की अवस्था में उसने सेना में प्रवेश किया (१७९२); तथा १७९३ में वह लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर नियुक्त हुआ। उसने फ्लैंडर्स में युद्ध, में भाग लिया (१७९४)। उत्तरी इटली और स्विट्जरलैंड में मार्शल सुवारों (Suwarrow) के सैनिक अभियान में वह इंग्लैंड के सैनिक प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित हुआ। १८०३ में उसने लेडी मेरी अचेसन (Acheson) से विवाह किया। विवाह के तीन महीने बाद वह मदरास का गवर्नर नियुक्त हुआ। बेल्लोर में सिपाही विद्रोह के कारण उसे पदत्याग करना पड़ा (१८०७)। तदनंतर, उसने कोरुन्ना (Corunna) के युद्ध में भाग लिया; सर आर्थर वेलेजली के नेतृत्व में पुर्तगाल में लड़ा; तथा सिसिली में अंग्रेंजी सेना का नायकत्व ग्रहण किया। १८१९ में उसने मदरास में गवर्नर नियुक्त होने के प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया। परंतु १८२७ में वह भारत का गवर्नर-जनरल निर्णीत हुआ।
बेंटिंक के पदारोहण के समय ईस्ट इंडिया कंपनी के चीनी व्यवसाय के एकाधिकार की समाप्ति की आशंका में, तथा बर्मा में युद्ध में अत्यधिक व्यय के कारण इंग्लैंड में कंपनी के अधिकारियों ने मितव्ययिता की नीति निर्धारित कर दी तथा बाह्य नीति में तटस्थता की नीति का अनुमोदन किया। मितव्ययिता का उत्तरदायित्व बेंटिंक ने इतनी दक्षता से निभाया कि जब उसके आगमन के समय राजकोष में प्राय: एक करोड़ रुपए का राजकोष में आधिक्य था। भारतीय सेना के अधिकारियों का आधा-भत्ता बंद कर देने के कारण वह अंग्रेंज समुदाय में अलोकप्रिय प्रमाणित हुआ। तीनों प्रांतों के सैनिक संस्थापनों में कटौतियाँ की तथा प्रांतीय अपील और सरकिट के न्यायालयों को समाप्त कर दिया। असैनिक संस्थापनों में भी उसने छटनी की। उसका सबसे महत्वपूर्ण तथा प्रगतिशील सुधार भारतीयों को पहली बार उच्चतर प्रशासकीय पदों पर नियुक्त करना था।
बाह्य क्षेत्र में बेंटिंक ने सिंध के अमीरों से संधि द्वारा (१८३२) सिंधु नदी में भारतीय व्यापार का प्रवेश स्थापित किया। तटस्थता की नीति ग्रहण करने पर भी मैसूर तथा कुर्ग राज्यों को उनकी आंतरिक अव्यवस्था के कारण ब्रिटिश साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया।
भारतीय इतिहास में बेंटिंक का सम्माननीय स्थान उसके प्रगतिशील सामाजिक सुधारों के कारण है। वास्तव में, उसी के शासनकाल से भारतीय आधुनिकीकरण का सूत्रपात हुआ। इसमें उसे एक ओर चार्ल्स मेटकाफ़ से प्रोत्साहन प्राप्त हुआ, तथा दूसरी ओर आधुनिक भारतीयता के जनक राजा राममोहन राय से। उसने सती प्रथा को अवैध घोषित कर दिया। ठगी का समूलोच्छेदन किया। वह प्रेस की स्वतंत्रता का भी समर्थक था। उसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य मैकाले की सहायता से अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम तथा राजभाषा निर्मित करना था। बेंटिंक ने गंगा पर प्रथम वाष्प पोत भी चालू किया था। उसका बंबई तथा सुएज (Suez) के मध्य वाष्प पोत के आवागमन का प्रस्ताव १८४३ में कार्यान्वित हो सका। २० मार्च, १८३५ को उसने भारत छोड़ा। १७जून, १८३९ को पेरिस में उसकी मृत्यु हुई। (राजनाथ )