बूमरैंग (Boomerang) एक प्रकार का अस्त्र है, जिसका उपयोग प्राचीन मिस्त्र निवासी युद्ध और शिकार के लिए करते थे और ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी आज भी इसी रूप में इसका उपयोग करते हैं। इसकी दो किस्में १. प्रत्यावर्त्य (return) बूमरैंग तथा २. अप्रत्यावर्त्य (nonreturn) बूमरैंग हैं। इन दोनों किस्मों की आकृति हँसिया की तरह होती है और ये दोनों ही लकड़ी की बनाई जाती हैं। भारत में इस्पात तथा हाथी दाँत का भी उपयोग इनके बनाने में होता है। इनकी लंबाई ६ इंच से ४ फुट, चौड़ाई लंबाई की १/१२ तथा मोटाई चौड़ाई का १/६ होती है। प्रत्यावर्त्यश् बूमरैंग की दोनों भुजाओं के मध्य ७०° से १२०° तक का कोण होता है, किंतु ऑस्ट्रेलिया में व्यवहृत होने वाले प्रत्यावर्त्य बूमरैंग की दोनों भुजाओं के मध्य ९०° का कोण, विस्तार १८¢¢ से २४¢¢ तक तथा कुल भार
चित्र. बूमरैंग
ख और घ सिरे केंद्र के तल से ऊपर तथा क और च नीचे रहते हैं।
८ आैंस होता है। दोनों भुजाओं के केंद्र से जानेवाले कल्पित धरातल को आधार मानकर दोनों भुजाओं को २° से ३° तक ऐंठकर तिरछा कर दिया जाता है। अप्रत्यावर्त्य बूमरैंग का तिरछापन प्रत्यावर्त्य की विपरीत दिशा में होता है। बूमरैंग की उड़ान तिरछेपन पर ही निर्भर करती है। प्रत्यावर्त्य बूमरैंग को सीधा पकड़कर पृथ्वी के समांतर दिशा में फेंकते हैं और फेंकते समय यथासंभव घूर्णन (rotation) दिया जाता है। ३० गज या अधिक दूरी तक सीधा जाने के बाद, यह बाँई ओर झुककर हवा में १५० फुट तक ऊपर उठता है और ५० गज के व्यास का वृत्त बनाकर पाँच चक्कर लेने के बाद, यह फेंकनेवाले के पास वापस लौट आता है। अप्रत्यावर्त्य बूमरैंग को प्रत्यावर्त्य करने के लिए ४५° का कोण बनाते हुए फेंका जाता है, जो बहुत दूरी तक जाता है। सिद्धहस्त व्यक्ति के हाथ में जाकर यह एक घातक अस्त्र हो जाता है। यह फेंकनेवाले तथा लक्ष्य दोनों के लिए घातक हो सकता है। (अजित नारायण मेहरोत्रा.)