बुलबुल शाखाशायी गण के पिकनोनॉटिडी कुल (Pycnonotidae) का पक्षी है, जो प्रसिद्ध गायक पक्षी 'बुलबुल हजारदास्ताँ' से एक दम भिन्न है। ये कीड़े मकोड़े और फल फूल खानेवाले पक्षी हैं। ये अपनी मीठी बोली के लिए नहीं, बल्कि लड़ने की आदत के कारण शौकीनों द्वारा पाले जाते हैं। ये कलछौंह भूरे मटमैले या गंदे पीले और हरे रंग के पक्षी हैं, जो अपने पतले शरीर, लंबी दुम और उठी हुई चोटी के कारण बड़ी आसानी से पहचान लिए जाते हैं। इनकी कई जातियाँ हमारे देश में मिलती हैं, जिनमें 'गुलदुम बुलबुल' सबसे प्रसिद्ध है। इसे लोग लड़ाने के लिए पालते हैं और पिंजड़े में नहीं, बल्कि लोहे के एक टी (T) शक्ल के चक्कस पर बिठाए रहते हैं। इनके पेट में एक पेटी बाँध दी जाती है, जो एक लंबी डोरी के सहारे चक्कस में बँधी रहती है।

भारत में पाई जानेवाली बुलबुल की कुछ प्रसिद्ध जातियाँ निम्नलिखित हैं : १. गुलदुम (red vented) बुलबुल, २. सिपाही (red whiskered) बुलबुल, ३. मछरिया (white browed) बुलबुल, ४. पीला (yellow browed) बुलबुल तथा ५. काँगड़ा (whit checked) बुलबुल। (सुरेश सिंह)