बुलडोज़र मिट्टी को इधर से उधर हटानेवाली मशीनें हैं। लगभग सन् १९२४ से निर्माण कार्य शीघ्रतापूर्वक करने में ये मशीनें सहायक होती रही हैं। अनेक प्रकार के कठिन काम करने में इनका उपयोग हो सकता है।

बुलडोज़र का प्रमुख अवयव इस्पात का बना हुआ एक फल होता है, जो ढकेलता है और काटता है। यह एक इस्पात के ढाँचे में लगा है तथा यह ढाँचा एक कर्षित्र (ट्रैक्टर) के ढाँचे में कील से जुड़ा रहता है। कर्षित्र में रबर टायर के भारी पहिए, या संगल पहिएदार माला (निरंतर पट्टी चक्र, caterpillar tracks), लगे रहते हैं। फल आकार में वक्र चंद्रमा सा होता है और कर्षित्र की चाल की दिशा से समकोण बनाता हुआ लगाया जाता है। कर्षित्र की अश्वशक्ति ६५ से १६० तक तथा फल की लंबाई ८ से ११ फुट तक होती है। जब फल का समंजन इस प्रकार किया जा सके कि वह कर्षित्र की चाल की दिशा तथा क्षैतिज रेखा के साथ कोई भी कोण बना सके, तो मशीन कोणडोज़र कहलाती है।

इस मशीन से मिट्टी, गिट्टी, रोड़े, गोलाश्म (boulders) आदि के ढेर खिसकाए और समतल किए जाते हैं। यह नालियाँ भरने और ठोस भूमि काटकर बराबर करने के भी काम आती हैं। इससे सड़क के स्तर निर्माण के लिए कटाई और निर्माणस्थल की सफाई भी की जाती है। बाड़ उखाड़ने, पेड़ों तथा ऐसी ही अन्य बाधाएँ हटाने के लिए इसका उपयोग होता है। इस प्रकार इससे किए जानेवाले कार्यो की विविधता महत्वपूर्ण है।

कोणडोज़र सड़क में ढाल बनाने तथा उसके मध्य में उभार देने के काम आता है और इसके फल को क्षैतिज करके इससे मिट्टी भी हटाई जा सकती है। पहाड़ी की एक तरफ में कटाई करने के लिए कोणडोज़र आदर्श मशीन है।

जब डंपर या लारियाँ ढेर की ढेर मिट्टी आदि उलटती हैं, तब उसे फैलाकर बराबर करने के लिए बुलडोज़र सबसे अधिक सुविधाजनक मशीन है। इसी प्रकार ये सड़कों तथा बाँधों के लिए भराव करने में उपयोगी होते हैं। यदि फासला २०० फुट से अधिक हो, तो बिना डंपर या लारी की सहायता के ही बुलडोज़र से भराई की जा सकती है। काम अच्छा और सस्ता करने के लिए, इसके चलाने में निपुणता तथा अभ्यास होना अनिवार्य है। पहाड़ों में काम करते समय जहाँ तक संभव हो, बुलडोज़र का प्रयोग मिट्टी नीचे की ओर ढकेलने के लिए करना चाहिए, क्योंकि इस प्रकार काम अधिक होता है और सस्ता भी पड़ता है। स्थान समतल करने के लिए फल नीचा करके कर्षित्र उलटा चलाया जाता है। मिट्टी आगे खिसकाने के लिए फल का समंजन इस प्रकार करना चाहिए कि मशीन चलाने में न अवरोध हो, और न संगलमाला (tracks) ही फिसले। (जगदीश मित्र त्रेहन)