बुरंजी अहोम राज्य सभा के पुरातत्व लेखों का संकलन बुरंजी में हुआ है। आरंभ में अहोम भाषा में इनकी रचना होती थी, कालांतर में असमिया भाषा इन ऐतिहासिक लेखों की माध्यम हुई। इसमें राज्य की प्रमुख घटनाओं, युद्ध, संधि, राज्यघोषणा, राजदूत तथा राज्यपालों के विविध कार्य, शिष्टमंडल का आदान प्रदान आदि का उल्लेख प्राप्त होता है - राजा तथा मंत्री के दैनिक कार्यों के विवरण भी प्रकाश डाला गया है। असम प्रदेश में इनके अनेक वृहदाकार खंड प्राप्त हुए हैं। राजा अथवा राज्य के उच्चपदस्थ अधिकारी के निर्देशानुसार शासनतंत्र से पूर्ण परिचित विद्वान् अथवा शासन के योग्य पदाधिकारी इनकी रचना करते थे। घटनाओं का चित्रण सरल एवं स्पष्ट भाषा में किया गया है; इन कृतियों की भाषा में अलंकारिकता का अभाव है। सोलहवीं शती के आरंभ से उन्नीसवीं शती के अंत तक इनका आलेखन होता रहा। बुरंजी राष्ट्रीय असमिया साहित्य का अभिन्न अंग हैं। गदाधर सिंह के राजत्वकाल में पुरनि असम बुरंजी का निर्माण हुआ जिसका संपादन हेमचंद्र गोस्वामी ने किया है। पूर्वी असम की भाषा में इन बुरंजियों की रचना हुई है।
सं.ग्रं. - हरकांत बरूआ, असम बुरंजी; दंडधाई असम बुरंजी; टुंगखुंगिया बुरंजी; कछारी बुरंजी; जयंतिया बुरंजी; त्रिपुरा बुरंजी; असम बुरंजी; पुरनि असम बुरंजी। (लालजी शुक्ल)