बुन्सेन, रॉबर्ट विल्हेल्म (Bunsen, Robert Wilhelm, १८११-१८९९ ई.) जर्मन रसायनज्ञ तथा सीज़ियम और रुबिडियम तत्वों के प्रसिद्ध आविष्कारक थे। इनका जन्म पश्चिमी जर्मनी के गटिंगेन नगर में हुआ था। यहीं के विश्वविद्यालय से इन्होंने १८३१ ई. में स्नातक उपाधि पाई। १८३३ ई. में ये गटिंगेन में प्राइवेट डोज़ाँ (Private Dozente) हो गए और १८३६ ई. में कैसल में वलर (Wholer) के स्थान पर टेकनिकल स्कूल में नियुक्त हो गए। १८३९ ई. में मारबुर्ख विश्वविद्यालय में ये ऐसोशिएट प्रोफेसर और फिर १८४१ ई. में वहीं पर रसायन के प्रोफेसर नियुक्त हुए। १८४६ ई. में ये एक वैज्ञानिक अभियान में आइसलैंड गए। इसके बाद ये एक वर्ष ब्रेसलाँ में अध्यापक रहकर १८५२ ई. में हाईडेलबर्ग विश्वविद्यालय में रसायन के प्रोफेसर नियुक्त हुए। यहीं से १८८९ ई. में इन्होंने ७८ वर्ष की उम्र में अवकाश ग्रहण किया।

बुन्सेन का सर्वप्रथम कार्य तो कैकोडिल मूलकों (cacodyl radicals) पर हुआ था। आर्सेंनिक से तैयार किए गए प्रसिद्ध कार्बनिक यौगिकों में इस मूलक की खोज बुन्सेन ने की। कार्बनिक रसायन के क्षेत्र में बुन्सेन का यही एकमात्रा कार्य है, पर १८४६ ई. के बाद से बुन्सेन भौतिक रसायन और अकार्बनिक रसायन के विशेषज्ञ बन गए और इनके समस्त अनुसंधान इन्हीं क्षेत्रों में हैं। प्रयोगों के करने में ये बड़े दक्ष थे। केवल सैद्धांतिक कार्यों में इनकी रुचि न थी। इन्होंने एक नए प्रकार का वोल्टीय सेल बनाया, जो बुन्सेन सेल के नाम से अब भी प्रसिद्ध है। प्रयोगशालाओं में काम आनेवाले ज्वालकों या बर्नरों में बुन्सेन बर्नर के नाम से भी परिचित हैं। गैस विश्लेषण की विधियों में भी इन्होंने संशोधन प्रस्तुत किए। खनिजों के परीक्षण की शुष्क विधियाँ इन्होंने प्रचलित कीं, जिनमें से ज्वालापरीक्षण को विशेष महत्व मिला। जी.आर. किर्खहॉफ (Kirchoff) के साथ इन्होंने स्पेक्ट्रम विश्लेषण पर युगांतकारी कार्य आरंभ किया, जिसपर आधुनिक स्पेक्ट्रम विज्ञान की नींव पड़ी। १८३० ई. में इनकी पुस्तक 'स्पेक्ट्रल विश्लेषण द्वारा रासायनिक विश्लेषण' विषय पर प्रकाशित हुई। इस स्पेक्ट्रम विश्लेषण द्वारा ही १८६१ ई. में बुन्सेन रुबिडियम और सीज़ियम तत्वों की खोज में सफल हुए, क्योंकि इन तत्वों के लवण स्पेक्ट्रम में पृथक् रेखाएँ देते थे। क्षार और कोयले के संयोग से १८४७ ई. में बुन्सेन ने सायनाइड भी तैयार किया था। बुन्सेन न केवल प्रसिद्ध अनुसंधान कर्ता थे, अपितु वे सफल अध्यापक भी थे। (सत्य प्रकााश् )