१९०८ में पिता की मृत्यु के बाद पिता के क्षेत्र से ही वह निर्विरोध पार्लमेंट में पहुँच गया और १९३७ तक निरंतर सदस्य चुना जाता रहा। पिता पुत्र दोनों अनुदार (कंज़र्वेटिव) दल के सदस्य थे। पार्लमेंट में उसका पहला भाषण १९०८ के कोयला खान के मजूदरों के बिल के विरोध में हुआ। अगले आठ वर्षों में कम अवसरों पर ही उसने पार्लमेंट में अपने विचार व्यक्त किए। १९१६ में युद्ध मंत्रिमंडल बनने पर वित्तमंत्री (चांसलर ऑव दि ऐक्सचैकर) बोनर ला ने उसको निजी संसदीय सचिव नियुक्त किया। जून, १९१७ में उसे कोष विभाग के संयुक्त अर्थमंत्री का कार्य सौंपा गया। १९१८ के चुनाव के बाद भी वह इस पद पर बना रहा। युद्धऋण से उत्पन्न आर्थिक सकट में १९१९ में उसने १,५०,००० पौंड के अपने ऋण से सरकार को मुक्त कर दिया। छद्म नाम से अन्य ऋणदाता श्रीमंतों से भी ऐसा करने की अपील की। १९२० में वह प्रिवीकौंसिल का सदस्य बनाया गया और अप्रैल, १९२१ में वह लॉयड जॉर्ज के संयुक्त दलीय मंत्रिमंडल में व्यापार बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त हुआ।
१९२२ के चुनाव के अवसर पर उसने संयुक्त दलीय सरकार की समाप्ति और अनुदार दल के स्वतंत्र रूप से निर्वाचन में भाग लेने का समर्थन और अनुदार दल के सदस्यों को पार्लमेंट में बहुमत प्राप्त हुआ। १३ वर्षों के बाद बोनर ला के नेतृत्व में गठित अनुदार दल के मंत्रिमंडल में बाल्डविन वित्तमंत्री नियुक्त हुआ। संयुक्त राष्ट्र अमरीका के युद्धऋण के भुगतान के संबंध में समझौता इस पद पर रहते उसका महत्वपूर्ण कार्य था। अस्वस्थता के कारण बोनर ला के प्रधान मंत्री के पद से हट जाने के बाद २२ मई, १९२३ से बाल्डविन इस पद पर नियुक्त हुआ। बढ़ती हुई बेरोजगारी को दूर करने की संरक्षणात्मक प्रशुल्क की उसकी योजना को देश का समर्थन नहीं मिला। इस प्रन पर हुए नवंबर के निर्वाचन के अनुसार दल की स्थिति कमजोर हो गई। जनवरी, १९२४ में उदार (लिबरल) और मजदूर (लेबर) दलों के सदस्यों के मतों से पार्लमेंट में हारने पर बाल्डविन ने इस्तीफा दे दिया।
मजदूर दल के नेता मैकडॉनल्ड का मंत्रिमंडल भी रूस संबंधी नीति के विरोध के कारण नौ मास में ही अपदस्थ हो गया। नए चुनाव में अनुदार दल को भारी बहुमत प्राप्त हुआ। नवंबर में बाल्डविन दूसरी बार प्रधानमंत्री नियुक्त हुआ और जून, १९२९ तक इस पद पर रहा। १९२६ में द्वितीय साम्राज्य सम्मेलन की उसने अध्यक्षता की और ब्रिटेन के स्वराज्यप्राप्त उपनिवेशों का साम्राज्य के अंतर्गत बराबरी का दर्जा घोषित किया। १९२७ में उसने राजकुमार के साथ कैनाडा की यात्रा की। लोकार्नो समझौता, स्थानीय स्वशासन, वयस्क मताधिकार, पेंशन और बिजली संबंधी कानून तथा लगभग पाँच लाख आवासों का निर्माण उसके कार्यकाल की उपलब्धियाँ हैं। पर बेरोजगारी और व्यापार की मंदी को दूर करने के उसके प्रयत्न असफल रहे। मई, १९२९ के चुनाव में लॉयड ज.र्ज के शब्दों में 'निश्चेष्ट, गुप्त और बाँझ' सरकार हार गई। मजदूर दल का दूसरा मंत्रिमंडल बना, पर बेरोजगारी दूर करने के प्रश्न पर दल के सदस्यों में मतभेद के कारण यह मंत्रिमंडल अगस्त, १९३१ में भंग हो गया। मैकडॉनल्ड के ही नेतृत्व में गठित संयुक्त दलीय राष्ट्रीय मंत्रिमंडल में बाल्डविन को कौंसिल का लार्ड प्रेसीडेंट बनाया गया। अपने दल के प्रभावशाली सदस्यों के विरोध की उपेक्षा कर १९३१ में साइमन कमीशन की भारतीय संविधान संबंधी रिपोर्ट का उसने गोलमेज सम्मेलन में समर्थन किया। कमीशन की नियुक्ति उसके प्रधान मंत्रित्व काल में १९२७ में हुई थी।
दुर्बल स्वास्थ्य के कारण मई, १९३५ में मैकडॉनल्ड प्रधान मंत्री के पद से हट गया। एक मास बाद बाल्डविन ने तीसरी बार इस पद का भार सँभाला और इस वर्ष ही पार्लमेंट में इंडिया ऐक्ट पारित कराया। नात्सी जर्मनी के तुष्टिकरण की अपनी नीति में वह असफल रहा और देश के शस्त्रीकरण की योजना उसको अपनानी पड़ी। सम्राट् ऐडवर्ड अष्टम के विवाह के प्रश्न से उत्पन्न संकट में १९३६ के अंतिम महीनों में उसने अपूर्व दृढ़ता दिखाई। एडवर्ड ने राज्यत्याग किया। नए सम्राट् जॉर्ज षष्ठ के राज्यारोहण के बाद बाल्ड्विन ने २८ मई, १९३७ को राज्य की सेवा से अवकाश ले लिया। सम्राट् ने ब्यूड्ले के अर्ल की उपाधि से उसे सम्मनित किया। जीवन के शेष वर्ष उसने रेडियो श्रवण, समाचारपत्रों और पुस्तकों के अध्ययन में घर पर ही बिताए। सितंबर, १९४२ में उसने अपने विवाह की स्वर्ण जयंती मनाई। पत्नी की मृत्यु के दो वर्ष बाद, १४ दिसंबर, १९४७ को उसका देहावसान हुआ। पत्नी की समाधि के समीप ही निजी गिरजाघर में उसके शव को समाधि दी गई।
१९२१ और १९३१ के बीच बाल्डविन सेंट ऐंड्रूज और केंब्रिज विश्वविद्यालयों का चांसलर और ऐडिनबरा तथा ग्लासगो विश्वविद्यालयों का लॉर्डरैक्टर भी रहा। कई विषयों पर उसने पुस्तकें लिखीं। क्लैसिक्स ऐंड दी प्लेन मैन; ऑन इंग्लैंड ऐंड दी अदर ऐसेज़, १९२६; अवर इनहैरिटैंस (भाषण संग्रह), १९२८; दिस टॉर्च ऑव फ्रीडम; पीस ऐंड गुडविल इन इंडस्ट्री, १९३५; सर्विस ऑव अवर लाइव्ज १९३७, और ऐन इंटरप्रेटर ऑव इंग्लैंड १९३९ उसकी प्रमुख रचनाएँ हैं। (त्रि.पं.)