बालि वाराह कल्प के तेरहवें
द्वापर में महादेव जी बालि नाम से गंधमादन पर्वत के बालखिल्याश्रम
में अवतीर्ण हुए थे। यह कथा वायु पुराण आदि कई ग्रंथों में
है। दूसरे बालि तारा के पति किष्किंधा के राजा थे जिनका वध
रामचंद्र जी ने किया। इनके पिता ऋक्षराज का जन्म ब्रह्मा की अश्रुधारा
से हुआ था और इनका पुत्र अंगद था जिसने लंका में अपने पराक्रम
का प्रदर्शन किया। तारा वानरपति सुषेण की कन्या थी। संभवत:
इसी कारण मायावी नामक राक्षस से बालि का बैर बढ़ा था।
(रामाज्ञा द्विवेदी)