बाबा कर्तारसिंह (सन् १८८६-१९६१) भारतीय रसायनज्ञ का जन्म पंजाब के अमृतसर जिले के वैरोवाल नामक स्थान में हुआ था। आप सिखों के तीसरे गुरु अमरदास जी के वंशज थे। आपके पिता का नाम कर्नल बाबा श्री जीवनसिंह तथा माता का श्रीमती प्रेमकौर था। बाबा कर्तारसिंह ने पहले केंब्रिज विश्वविद्यालय के डाउनिंग कॉलेज में तथा बाद में सेंट ऐंड्रूज़ तथा केंब्रिज में शिक्षा पाई। आपको सन् १९२१ में डब्लिन विश्वविद्यालय से तथा सन् १९४१ में केंब्रिज से डॉक्टरेट की उपाधियाँ मिलीं।

आप सन् १९१० में ढाका कॉलेज, ढाका, में रसायन के प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए और सन् १९१८ तक इस पद पर रहे। इसी वर्ष आपका चुनाव इंडियन एडुकेशनल सर्विस के लिए हो गया और आपकी नियुक्ति गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर, में हुई। यहाँ से सन् १९२१ में आप पटना कॉलेज में आए तथा बाद में सन् १९२१ से ३६ तक रेवेनशॉ कॉलेज, कटक, सन् १९३६ से १९४० तक सायन्स कॉलेज, पटना, तथा सन् १९४० से सेवानिवृत्त होने तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में रसायन के प्रोफेसर और उस विभाग के अध्यक्ष रहे। सेवानिवृत्त होने के पश्चात् आपने कई वर्षों तक बनारस हिंदू युनिवर्सिटी में नि:शुल्क सेवा की।

त्रिविम रसायन (Sterochemistry), वानस्पतिक उत्पादों के रसायन तथा कार्बनिक रसायन के अनेक विषयों पर अनुसंधान कर आपने लगभग अस्सी मौलिक गवेषणापत्र प्रकाशित किए, जिससे आपको देश और विदेश की अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं, जैसे इंग्लैड की केमिकल सोसायटी, फैरैडे सोसायटी आदि, ने सम्मानित कर अपना सदस्य निर्वाचित किया। सन् १९३१ और १९३२ में आप इंडियन केमिकल सोसायटी के प्रेसिडेंट, सन् १९३४ से १९४१ तक इंडियन ऐकैडेमी ऑव सायंसेज, बैंगेलोर, तथा सन् १९१९-२० में लाहौर फिलॉसॅफ़िकल सोसयटी के प्रेसिडेंट रहे। सन् १९२० के इंडियन सायंस कांग्रेस की रसायन परिषद् के आप अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे।

विज्ञान के सिवाय सामाजिक तथा धार्मिक क्षेत्र में भी आपने महत्व की सेवाएँ कीं। सन् १९३६ से ४१ तक आप सिख धर्म संस्थान, तख्त, हरमंदिर जी, पटना, की निरीक्षक समिति के अध्यक्ष रहे। (भगवान दास वर्मा)