बादशाह कुली खाँ मुगल सम्राट् औरंगजेब के राज्य का योग्य सरदार और सैनिक, जो तहब्वुर खाँ के नाम से प्रसिद्ध था। औरंगजेब ने इसे अजमेर का फौजदार नियुक्त किया। राजपूतों के विद्रोह के समय तहव्वुर ने अपनी वीरता का परिचय दिया। राजपूतों के मांडल दुर्ग पर अधिकार करने के प्रसादस्वरूप इसे बादशाह कुली खाँ की उपाधि दी गई। राजपूतों ने राजकुमार मुहम्मद अकबर और बादशाह कुली खाँ को अपने पक्ष में मिलाकर विद्रोह के लिए उत्साहित किया। इस विद्रोह में पहले तो बादशाह कुली खाँ सम्मिलित हुआ किंतु बाद में वह स्वयं औरंगजेब से मिलने गया, और वहीं इसकी हत्या कर दी गई।