बहुला देवासुर संग्राम में कार्तिकेय की एक सहचरी जिसकी गणना कल्याणकारिणी मातृकाओं में है। इनका वर्णन महाभारत में है। २- मानस पर्वत पर रहनेवाली एक देवी जिसके पास मुनि मेधातिथि ने ब्रह्मा के परामर्श से अपनी कन्या अरुंधती को शिक्षा ग्रहण करने के लिए रखा था। ३- भद्रदेश के शाकल नगर निवासी सोमशर्मा नामक वणिक् की माता जिसकी कथा वामनपुराण में है। ४- बभ्रु की कन्या जिसका विवाह राजा उत्तानपाद के पुत्र उत्तम से हुआ था और जिसकी कथा मार्कंडेय पुराण में दी है। ५- प्रसिद्ध गऊ जो वृंदावन के बहुला वन में रहती थी और जिसके सिंह के साथ सत्यपालन की कथा पुराणों में आई है। इसी गाय के नाम पर भादों तथा माघ बदी चौथ को व्रत किया जाता है। और इन दोनों दिनों को बहुला चौथ कहते हैं। (रामाज्ञा द्विवेदी)