बहुलकीकरण (Polymerisation) कार्बनिक रसायन में प्रारंभ से ही उस विधि को जिसमें यौगिक पदार्थ के दो या अधिक अणु मिलकर एक दूसरा ऐसा अणु या बहुलक (polymer) बनाएँ जिसका प्रतिशत संगठन वही हो जो मूल पदार्थ एकलक (monomer) का था, तथा उसका अणुभार एकलक के अणुभार का बहुगुण हो, बहुलकीकरण कहते हैं।

अनेक द्विबंध या त्रिबंधवाले कार्बनिक यौगिक में गरम करने या केवल रखने पर ही योगशील बहुलकीकरण (addition polymerisation) हो जाता है। इस प्रक्रिया द्वारा मूल वाष्पशील पदार्थ कम वाष्पशील द्रव या ठोस के रूप में बदले जा सकते हैं। कुछ बहुलकों में एकलक के केवल दो या तीन ही अणु होते हैं, परंतु अधिकांश में इनकी संख्या बहुत अधिक होती है। कुछ एकलक एक से अधिक प्रकार के बहुलक बनाते हैं तथा कुछ बहुलक गरम करने पर एकलकों में परिवर्तित हो जाते हैं।

एथिलीन तथा उसके व्युत्पन्नों का बहुलकीकरण योगश्ल बहुलकीकरण का उदाहरण है तथा बहुत ही प्राविधिक महत्व रखता है। एथिलीन एक गैस है पर इसके अनेक अणुओं के संयुक्त होने से पॉलिएथिलीन (polyethylene) नामक बहुलक प्राप्त होता है, जो एक बहुत ही उपयोगी पदार्थ है। इसी प्रकार स्टाइरीन (styrene) एक रंगहीन तीव्र गंधवाला द्रव है। कुछ दिन रखने या १००°सें. तक गरम करने पर, इसका बहुलकीकरण हो जाता है। पहले एक गाढ़ा द्रव प्राप्त होता है और अंत में एक स्वच्छ गंधहीन, चमकदार, ठोस पदार्थ प्राप्त हो जाता है, जिसे पॉलीस्टाइरीन (polystyrene) कहते हैं। इसे (काहा का हा=काहा)n [C6H5CH=CH2)n] सूत्र द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं, जहाँ पर न (n) की संख्या हजारों में है। कुछ ऐसे पदार्थ हाते हैं जिनकी उपस्थिति में बहुलकीकरण क्रिया केवल कुछ मिनटों में ही संपन्न हो जाती है। ऐसे पदार्थों को प्रारंभक (initiator) कहते हैं। इस प्रकार स्टाइरीन के बहुलकीकरण में एक प्रतिशत से भी कम मात्रा में बेंज्यायल परॉक्साइड (benzoyl peroxide) मिला देने से कुछ मिनटों के अंदर ही पॉलीस्टाइरीन प्राप्त हो सकता है। इस प्रकार की अभिक्रियाएँ शृंखला अभिक्रियायों (chain reactions) द्वारा संपन्न होती हैं और इनमें मुक्त मूलक (free radical), जा प्रारंभक के विघटन से बनते हैं, क्रिया को पूरा करते हैं। इस प्रकार यदि प्रारंभक के विघटन से मू (R) मुक्त मूलक बने, तो वह द्विबंध से योग करके एक बड़ा अणु बनाता है, जिसमें भी स्वतंत्र बंध होते हैं।

मू-+काहा=काहा. काहा ® मू-काहा-काहा-काहा

[R-+CH2=CH. C6H5 ® R-CH2-CH-C6H5]

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मुक्तमूलक स्टाइरीन बड़ा अणु

यह क्रिया फिर आगे चलती है और अणु का आकार क्रमश: बढ़ता जाता है।

यदि दो एकलकों का बहुलकीकरण एक साथ मिला कर किया जाए, तो बहुलक के प्रत्येक अणु में दोनों एकलक भी उपस्थित हो सकते हैं। इस प्रकार से प्राप्त बहुलक को सहबहुलक (copolymer) कहते हैं। बहुलकीकरण उद्योग से प्राप्त अधिकांश बहुलक सहबहुलक ही होते हैं।

आइसोप्रीन (isoprene), आइसोब्यूटिलीन (isobutylene), मैथिलमेथैक्रिलेट (methylmethacrylate), विनिल क्लोराइड (vinyl chloride), विनिल ऐसीटेट (vinyl acetate), ऐकाइलो नाइट्राइल (acrylonitrile) आदि एकलक, अनेक प्रकार के कपड़े, रबर आदि बनाने में काम आते हैं।

संघनन बहुलकीकरण (condensation polymerisation) विधि द्वारा भी उच्च अणुभारवाले बहुलक बनाए जाते हैं, जिनके बनने की क्रिया में जल, या अन्य साधारण अणु, निकलते भी हैं। इस विधि द्वारा पॉलिएस्टर (polyester), या पॉलिऐमाइड (polyamide) प्रकार के बहुलक बनते हैं जिनमें

-काऔ-औ (-CO-O), या -काऔना हा- (-CONH-)

की पुनरावर्तित इकाइयाँ (repeating units) होती है। इस प्रकार एडिपिक अम्ल (adipic acid) तथा हेक्सामेथिलीन टेट्राऐमीन (hexamethylene tetramine) को २००°सें. तक गरम करने से नाइलोन (nylon) बहुलक बनता है जिसमें

-का औ-(का हा) -का औ-ना हा (का हा) -ना हा-

[-CO-(CH2)4-CO-NH(CH2)6-NH-]

की पुनरावर्तित इकाइयाँ रहती हैं। (रामदास तिवारी)