बहादुरशाह (१७७५-१८६२) दिल्ली के अंतिम मुगल सम्राट्। पिता अकबर शाह की मृत्यु के बाद १८३७ ई. में सिंहासन पर बैठे। ये नाम मात्र के ही शासक थे। वास्तविक राज्याधिकार अंग्रेजों के हाथ में था तथा दक्षिण में मरहटों की शक्ति बढ़ती जा रही थी। ये फारसी के अच्छे विद्वान् थे और उर्दू में प्रभावोत्पादक कविता भी करते थे। इनके रचित कई 'दीवान' उपलब्ध हैं। कविता की ओर अधिक झुकाव होने के कारण राजकार्यों की ओर यथेष्ट ध्यान नहीं देते थे। सन् १८५७ के स्वातंत््रययुद्ध में इन्होंने नेतृत्व ग्रहण किया, इसलिए युद्ध समाप्ति पर अंग्रेज शासकों ने इन्हें कैद कर लिया और जहाज में बैठाकर परिवार सहित रंगून को भेज दिया। वहीं अंग्रेजों की नज़रबंदी में सन् १८६२ में इनका देहांत हो गया।