बहाउद्दीन, नक्शबंद इस नाम का तुर्किस्तान के प्रसिद्ध सूफी सिलसिले, सिलसलए ख्वाजगान का नाम नक़्शबंदी सिलसिला पड़ा। उनका जन्म मार्च-अप्रैल, १३१७ ई. में बुखारा के समीप एक गाँव में हुआ। बाबा कुलाल एवं ख्वाज़ा अब्दुल खालिक़ गुजदवानी से सूफी मत की दीक्षा ली। तत्कालीन मध्य एशिया की राजनीतिक एवं सांस्कृतिक उथल पुथल के कारण उनकी शिक्षा में पर्याप्त कट्टरपन पाया जाता है। उन्होंने समा (सूफियों का संगीत एवं नृत्य) का उत्साहपूर्वक विरोध किया। मुगलों में तीमूर नक्शबंदी सिलसिले की शिक्षा से बड़ा प्रभावित था। इसी कारण भारतवर्ष में बाबर के समय से नक्शबंदी सिलसिले की बड़ी उन्नति हुई।

सं.ग्रं. - फ़खुद्दीन अली बिन हुसैन वाइज़ काशीफ़ी : रशहाते ऐनुल हयात (लखनऊ, १८९०, फ़ारसी); सैयद अतहर अब्बास रिजवी : मुसलिम रिवाइवलिस्ट मूवमेंट्स इन नार्दर्न इंडिया इन द सिक्सटींथ ऐंड सेंवेंटींथ सेंचुरीज़ (आगरा, १९६५)। (सैयद अतहर अब्बास रिज़वी.)