बहरुल उलूम मुल्ला अब्दुल अली (पुत्र) मुल्ला निजामुद्दीन (पुत्र) कुतुबुद्दीन सिहालवी। (जन्म-१७३१ ई.) फ़िरंगी महल लखनऊ के उत्कृष्ट विद्वान् थे। रामपुर, बुहार (बर्दवान, बंगाल) तथा कर्नाटक के नवाब मुहम्मद अली खाँ की सेवा में रहे। बहरुल उलूम (विद्यासागर) की उपाधि वहीं से प्रापत की। १३ अगस्त, १८१० ई. को मद्रास में देहावसान हुआ। वे इब्ने अरबी की शिक्षा से बड़े प्रभावित थे। उनकी रचनाओं में मौलाना रूमी की मसनवी की टीका (लखनऊ १८७३, तीन जिल्द, फ़ारसी) सर्वश्रेष्ठ है। दर्शनशास्त्र एवं धर्मशास्त्र संबंधी अनेक ग्रंथों की फारसी तथा अरबी में मौलना ने रचना की।

सं.ग्रं. - रहमान अली : तज़किरए उलमाए हिंद (लखनऊ, १९१४ फारसी)। (सैयद अतहर अब्बास रिज़वी)