बर्लिन स्थिति : ५२° ३२¢ उ.अ. तथा १३° २४¢ प्ाू.दे.। सन् १८७१ से लेकर १९४५ ई. तक जर्मनी की राजधानी था। इसके पहले यह होएंत्सॉलर्न (Hohenzollern) का प्रमुख स्थान रहा। यह उत्तर-पूर्वी जर्मनी में बाल्टिक सागर के तट से ११० मील अंदर की ओर एल्ब और ओडर नदियों के बीच स्प्री नदी के दोनों किनारों पर बसा हुआ है। द्वितीय विश्वयुद्ध के पूर्व बर्लिन एक बड़ा समृद्धिशाली और सब प्रकार से उन्नत नगर था। यूरोप में लंदन और पैरिस के बाद इसी का स्थान था। पर द्वितीय विश्वयुद्ध के समय (१९४५ ई.) नगर में इतना अधिक परिवर्तन हुआ कि इसका सारा ढाँचा ही बदल गया। यह मुख्यत: दो भागों में विभाजित हो गया है - एक पश्चिमी बर्लिन और दूसरा पूर्वी बर्लिन। पश्चिमी बर्लिन वस्तुत: पश्चिमी जर्मनी के फेड़रैल रिपब्लिक की राजधानी के रूप में है और इस पर संयुक्त राज्य अमरीका, ग्रेटब्रिटेन तथा फ्रांस का संयुक्त अधिकार है। पूर्वी बर्लिन पूर्णतया पूर्वी जर्मनी के डेमोक्रेटिक रिपब्लिक के अंतर्गत हो गया है तथा वास्तव में यह रूस की संरक्षकता में है।
यूरोपीय स्तर पर बर्लिन एक नया नगर माना जाता है। इसका विकास प्रारंभ में काल्न (Kalln) और बर्लिन (Berlin) नामक दो गाँवों से शुरू हुआ। बर्लिन स्प्री नदी के दक्षिण में तथा काल्न उत्तर में नदी की दोनों भुजाओं द्वारा निर्मित टापू पर विकसित हुआ। इन दोनों नगरों के नियम एवं प्रशासन पहले बिलकुल अलग अलग थे, फिर भी दोनों सन् १३०७ से सामान्य कार्यपालिका के अंतर्गत रहे। आगे चलकर सन् १७०९ ई. में ये दोनों पूरी तरह संयुक्त हो गए।
थोड़े समय बाद पूर्व एवं उत्तर-पूर्व के व्यापार के लिए इन दोनों नगरों की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण प्रतीत हुई और इस दृष्टि से इनकी बड़ी उन्नति हुई। सामरिक दृष्टि से भी इसका स्थान अद्वितीय समझा गया। इस प्रकार तीव्र व्यापारिक उन्नति के कारण जर्मनी के प्रगतिशील उत्तरी नगरों से इसका संबंध होना आवश्यक हो गया और अंत में अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए यह हैसियाटिक लीग (Hansiatic league) में सम्मिलित हो गया। फिर तो विभिन्न वातावरण एवं परिस्थितियों में बर्लिन शनै: शनै: विकसित होता रहा।
१९वीं शताब्दी के प्रारंभ में बर्लिन में बहुत सी आंतरिक एवं बाह्य गड़बड़ियाँ हुईं जिनके कारण इस नगर की उन्नति में बाधाएँ उत्पन्न हुई। आगे चलकर फिर वह उपयुक्त अवसर आया जब नगर की उन्नति भली प्रकार हुई। सन् १८६० से लेकर सन् १९२० तक बर्लिन की सीमा में कोई परिवर्तन नहीं हुआ, यद्यपि सन् १९१२ ई. में प्रमुख नगर एवं उसके आस पास के क्षेत्रों की एक संस्था का निर्माण हुआ और इसमें सम्मिलित संपूर्ण क्षेत्रों को विशाल बर्लिन के नाम से संबोधित किया गया। इस संस्था का उद्देश्य सड़कों, रेलों तथा भवन योजनाओं और सामान्य नियंत्रण रखना, आंतरिक सुरक्षा कायम करना एवं जंगलों तथा भवन निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध करना था। इसके शीघ्र ही पश्चात् फिर कुछ सुधार करना आवश्यक प्रतीत हुआ। सन् १९२० में बर्लिन में एक नई नगरपालिका स्थापित की गई जिसमें सभी पड़ोसी क्षेत्रों को प्रभावकारी उन्नति की दृष्टि से एक प्रशासन के अंतर्गत रखा गया। इस प्रकार द्वितीय विश्वयुद्ध के पूर्व जर्मनी के इतिहास में बर्लिन का विकास चरमोत्कर्ष पर रहा।
सन् १९४५ के पहले नगर की अवस्था को दृष्टिगत करते हुए यह देखा गया कि नगर के पश्चिमी भाग की ओर रहने के लिए मकान बसाए गए थे अर्थात् इसी भाग में लोग बसे। उत्तरपश्चिमी भाग में शैक्षणिक, वैज्ञानिक, एवं मिलिटरी (सैनिक) संस्थाओं का विकास हुआ। उत्तरी भाग में यंत्रों के कार्य उन्नत हुए। उत्तर-पूर्वी भाग ऊनी सामान के निर्माण के लिए प्रसिद्ध हुआ। पूर्वी तथा दक्षिण-पूर्वी भाग में रँगाई, फर्नीचर, धातु आदि के उद्योग पनपे और दक्षिणी भाग रेल के उद्योग के लिए प्रसिद्ध हुआ। राजधानी का सामाजिक कार्यालय संबंधी जीवन रॉयल पैलेस से लेकर ब्रैडेनबर्गर टॉर तक अंटरडेन लिंडेन पर केंद्रित हुआ।
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय बर्लिन की दशा बिल्कुल खराब हो गई और यह बुरी तरह तहस नहस हो गया। जैसा ऊपर कहा गया है, यह कई भागों में विभाजित हो गया और विभिन्न शक्तियों ने इसपर अपना प्रभुत्व जमा लिया। वास्तव में इस समय यह नगर राजनीतिक खींचा तानी का विषय बन गया था। फिर भी द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद से विभिन्न खंडों में होते हुए भी बर्लिन ने फिर उन्नति करना प्रारंभ किया परंतु वह अपनी पुरानी स्थिति में अब भी नहीं आ सका है।
बर्लिन में यातायात तथा संदेशवाहन को देखने से पता चलता है कि पश्चिमी बर्लिन में वायुयान द्वारा आना जाना बहुत अधिक होता है। घेरे के बाद अधिकतर विदेशी भ्रमणकारी वायुयानों द्वारा यहाँ आते जाते रहे हैं। यहाँ के स्थानीय उद्योग धंधों की निर्मित वस्तुएँ वायुयानों द्वारा ही बाहर भेजी जाती रही हैं। वैसे सामान्यत: रेल द्वारा भी यातायात प्रचलित है। कभी कभी सोवियत सरकार द्वारा कुछ बातों को लेकर बीच बीच में विघ्न बाधाएँ उत्पन्न हो जाया करती हैं। पूर्वी क्षेत्र से द्रुतगामी रेले पूर्वी जर्मनी तथा मध्य यूरोप के अन्य भागों में पूर्व, पश्चिम रेल यातायात के अंतर्गत, खूब प्रचलित हैं। जो भी हो, इतना अवश्य है कि विभिन्न राजनीतिक परिस्थितियों के कारण बर्लिन में यातायात बहुत बाधापूर्ण रहा है। बर्लिन में एक भाग से दूसरे भाग के बीच यातायात सेवा प्रचलित है परंतु विभागीय सीमाओं पर रेलगाड़ियाँ बदलनी पड़ती हैं। नित्य पूर्वी बर्लिन के लोग पश्चिम बर्लिन में दुकानदारी आदि कार्य करने के लिए जाते रहते हैं। वास्तव में देखा जाए तो पूर्वी तथा पश्चिमी जर्मनी की समस्या ने बर्लिन के व्यापारिक महत्व को कम कर दिया है, विशेषकर जलयातायात के मामले में।
सन् १९४५ के पहले बर्लिन नगर जर्मनी का प्रसिद्ध व्यापारिक, इंश्योरेंस, बैकिंग एवं ब्रोकरेज केंद्र रहा। साथ ही असंख्य विशाल भवनों के कार्यालय भी रहे। उद्योग धंधों के मामलों में भी यह नगर बेजोड़ रहा और हर प्रकर के वैज्ञानिक उपकरण, बिजली के सामान, मशीनें, मोटरें, वस्त्र, वायुयान, मशीनों के औजार, टर्बाइन, ट्रैक्टर, लेंस आदि बनाने में यूरोप में इसका प्रमुख स्थान रहा। सन् १९४५ के बाद से बर्लिन ने अपनी आर्थिक क्षमता को फिर से कायम करने की कोशिश की परंतु यहाँ की विचित्र कठिन राजनीतिक परिस्थितियों ने पश्चिम बर्लिन को काफी पंगु बना दिया जिससे बेरोजगारी की समस्या काफी बढ़ गई। फिर भी आजकल की स्थिति को देखते हुए बर्लिन ने काफी हद तक अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है।
जनसंख्या की दृष्टि से पूर्वी बर्लिन एवं पश्चिमी बर्लिन की जनसंख्या में काफी परिवर्तन हुआ है। सन् १९३९ में बर्लिन की जनसंख्या ४३,३२,२४२ थी जो १९४६ ई. में ३१,८०,३०३ हो गई। १९४५ ई. के बाद पूर्वी बर्लिन से कम से कम १० लाख व्यक्ति पश्चिम बर्लिन में आए। पश्चिम बर्लिन की अनुमानित जनसंख्या २१,९८,००० और पूर्वी बर्लिन की १,२०,२,००० (१९५३) है। (रामसहाय खरे)