बर्केनहेड, लॉर्ड - प्रसिद्ध अंग्रेज राजनीतिज्ञ इसका पूरा नाम फ्रेडरिक एडविन स्मिथ था। इसका जन्म १२ जुलाई, सन् १८७२ को वर्केंनहेड में हुआ था और मृत्यु ३० सितंबर, १९३० को हुई। अपने जीवनयापन के लिए फ्रेडरिक ने सन् १८९९ में वकालत आरंभ की। कुछ दिन 'ग्रेज इन' में कार्य करने के बाद सन् १९०६ में वह वॉल्टन से पार्लमेंट का सदस्य चुना गया। बर्केनहेड की ख्याति बढ़ती ही जा रही थी। उसकी योग्यता के पुरस्कार स्वरूप सन् १९११ में उसे प्रिवी काउंसिल का सदस्य चुना गया। सन् १९१९ में उसे लॉर्ड चांसलर बनने का अवसर प्राप्त हुआ। उसे अनुदारवादियों की 'शैडो कैबिनेट' का सदस्य स्वीकार कर लिया गया था।

इस समय आयरलैंड में बड़ी अशांति फैली थी। वहाँ के मामलों की देखभाल करने के लिए एडवर्ड कारसन को नियुक्त किया गया। बर्केनहेड कारसन का प्रमुख सहकारी था। अल्सटर में अशांति दबाने के संबंध में बर्केनहेड ने कारसन की काफी सहायता की। प्रथम महायुद्ध का आरंभ होते ही आयरलैंड का प्रश्न ठंडा पड़ गया।

इसके बाद बर्केनहेड ने 'प्रेस व्यूरो' को सँभालने का कार्य स्वीकार कर लिया। तत्पश्चात् वह भारतीय सेनाओं के साथ फ्रांस चला गया और वहाँ सैनिक कानून के अंतर्गत प्रशासन चलाने में उसने अपूर्व योग्यता दिखाई। सन् १९१५ में यह फ्रांस से वापस बुलाकर 'सॉलिसिटर जनरल' बना दिया गया। उसके बाद कारसन के पद की अवधि समाप्त होने पर वह 'एटॉर्नी जनरल'श् बना दिया गया। इसी वर्ष (१९१५) उसे 'नाइट' की उपाधि दी गई। सन् १९१८ के चुनाव के बाद वह लॉर्ड चांसलर बना दिया गया तथा उसे 'वाईकाउंट वर्केनहेड' की उपाधि दी गई। यह सम्मान प्राप्त होने के कुछ समय पश्चात् उसे 'अर्ल' बना दिया गया और वह 'लार्ड बर्कनहेड' हो गया। (मिथिलोचंद्र पांडिया)