बरबैंक ल्यूथर (Burbank Luther, सन् १८४९-१९२६) प्रसिद्ध अमरीकी पादप प्रजनक का जन्म मैसैचुसेट्स राज्य के लैंकैस्टर नामक नगर में हुआ था। इन्होंने पब्लिक स्कूल और लैंकैस्टर एैकैडमी में शिक्षा पाई तथा कृषिफार्म पर वनस्पतियों के संबंध में विस्तृत ज्ञान प्राप्त किया। जंतुओं के विनयन (domestication) तथा पादपों के दमन से उनमें विविधता उत्पन्न करने के सबंध में डार्विन के विचारों ने इनके जीवन को एक नया मोड़ दे दिया और ये पादप प्रजनन के कार्य में जुट गए।
सर्वप्रथम इन्होंने एक नए प्रकार के आलू का विकास किया, जो इन्हीं के नाम पर प्रसिद्ध हुआ। सन् १८७८ तक लूनेनबर्ग (मैसैचुसेट्स) के फार्म पर अनुसंधानों में लगे रहने के बाद ये कैलिफॉर्निया राज्य के सैंटारोजा नामक स्थान में बस गए, जहाँ ये ५० वर्षों तक निरंतर फलों, फूलों, शाकों, अन्नों और घासों की विविध नई जातियों के उत्पादन में लगे रहे। इन्होंने अपने प्रयोगों के सिलसिले में लाखों पौधे उगाए। इनका उद्देश्य वैज्ञानिक खोज न था। वे केवल अधिक उपयोगी फल और सुंदर फूल उत्पन्न करना चाहते थे, जिसमें उन्हें अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई। लोग इन्हें वनस्पतियों का जादूगर कहते थे।
आगे चलकर स्टैन्फोर्ड विश्वविद्यालय में ये विकासवाद के लेक्चरर नियुक्त हुए। इन्होंने अपने कार्य से संबंधित दो ग्रंथ तथा उत्पादित नई जातियों की वनस्पतियों की वर्णनात्मक सूची भी प्रकाशित की थी, जो बड़े काम की है। (भगवान दास वर्मा.)