बभ्रुवाहन चित्रवाहन की पुत्री चित्रागंदा से उत्पन्न पुत्र जो अपने नाना की मृत्यु के बाद मणिपुर के राजा बने। युधिष्ठिर के अश्वमेध अश्व को पकड़ लेने पर अर्जुन से इनका घोर युद्ध हुआ जिसमें यह विजयी हुए। किंतु माता के आग्रह पर इन्होंने मृतसंजीवक मणि द्वारा समरभूमि में अचेत पड़े अर्जुन को चैतन्य किया और अश्व को उन्हें लौटाते हुए यह अपनी माताओं-चिंत्रांगदा और उलूपी के साथ युधिष्ठिर के यज्ञ में सम्मिलित हुए (जैमि, अश्व., ३७, २१-४०; महा. आश्व. ७९-९०)। (श्याम तिवारी)