बदरीनाथ स्थिति : ३०� ४४� उ. अ. तथा ७९� ३०� पू. दे.। यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित चमोली जिले का नगर एवं हिंदुओं का पसिद्ध तीर्थस्थल है। इस नाम की मध्य हिमालय में एक चोटी भी है, जो सागरतल से २३,२१० फुट ऊँची है। इसी के समीप स्थित हिमनदों से अलकनंदा एवं अन्य कई छोटी छोटी धाराएँ निकलती हैं। अलकनंदा के दाहिने किनारे पर बदरीनाथ की बस्ती है। बस्ती में केवल कुछ मकान बने हैं, जिनमें अधिकांश धर्मशालाएँ हैं। दुकानों में कपड़ा, बरतन, मेवे, मसाले, पूड़ियाँ, मिठाइयाँ, अनाज, आलू, चीनी, मिश्री एवं कई पहाड़ी वस्तुएँ बिकती हैं। यहाँ हजारों यात्री प्रति वर्ष आते हैं। यहाँ पर कई बड़े बड़े झरने, डाकखाने एवं राजाओं के सदावर्त हैं।
जाड़ों में चारों तरफ पर्वत के ऊपर बर्फ जमी रहती है। इसके पूर्व और पश्मिवाले पहाड़ों को लोग जय और विजय कहते हैं। पर्वतों के बीच में सागरतल से १०,४०० फुट ऊँचा एवं उत्तर से दक्षिण को ढालू एक मैदान है। इसी मैदान पर अलकनंदा बहती है तथा बदरीनाथ की बस्ती है। बस्ती के उत्तर में अलकनंदा नदी के दाएँ किनारे पर बदरीनाथ जी का पत्थर का बना ४५ फुट ऊँचा मंदिर है, जिसके चारों ओर तीन तीन द्वार हैं। मंदिर पर सुनहला कलश है। मंदिर में एक साथ ऊँची बदरीनाथ (विष्णु) जी की द्विभुज श्यामल मूर्ति स्थापित है। इनके पास ही लक्षमी जी, नर-नारायण, नारद, गणेश, कुबेर, गरुड़ और चाँदी के उद्धव हैं। कहा जाता है, बदरीनारायण पहले गुप्तरूप में थे, नवीं शती में बदरीनारायण की मूर्ति को शंकराचार्य ने नदी में पाया था, उन्होंने मंदिर बनाकर उसमें मूर्ति को स्थापित किया था। यहाँ का फाटक निश्चित समय पर दिन रात में तीन बार खुलता है। फाटक के आगे तप्त कुंड और अलकनंदा हैं तथा पास ही में लक्ष्मी जी का मंदिर बना है।
बदरिकाश्रम में ऋषिगंगा,
कूर्मधारा, प्रह्लादधारा, तप्तकुंड और नारदकुंड से मिलकर
बना एक पंचतीर्थ है। ऋषिगंगा मंदिर से मील दूर है।
मंदिर से कुछ दक्षिण की ओर दीवार पर कूर्म का मुँह बना है
जिसमें होकर तीन हाथ लंबे और दो हाथ चौड़े एक हौज में
पानी गिरता है जो कूर्मधारा कहलाती है। तप्तकुंड का पानी
गरम होने से इसे तप्तकुंड कहते हैं। यहाँ स्थित नारदशिला,
बाराहशिला, मार्कडेयशिला, नृसिंहशिला और गरुड़शिला को पंचशिला
कहते हैं। बदरीनाथ के मंदिर से लगभग ४०० गज उत्तर की ओर
अलकनंदा के दाहिने किनारे पर ब्रह्मकपाली चट्टान है जिसपर
बैठकर यात्रीगण पितरों को पिंडदान करते हैं।