बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय (१८३८-१८९४) बंगला के प्रख्यात उपन्यासकार और गद्यकार। रवींद्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती साहित्यकारों में अन्यतम स्थान है। प्रेसीडेंसी कालेज से बी. ए. की उपाधि लेनेवाले ये पहले भारतीय थे। शिक्षासमाप्ति के तुरंत बाद डिप्टी मजिस्ट्रेट पद पर इनकी नियुक्ति हो गई। कुछ काल तक बंगाल सरकार के सचिव पद पर भी रहे। रायबहादुर और सी. आई. ई. की उपाधियाँ पाईं।

इनका पहला उपन्यास 'राजमोहन की पत्नी' (राजमोहन्ज वाइफ़) अंग्रेजी में प्रकाशित हुआ (१८६४)। १८६५ में पहला बँगला उपन्यास 'दुर्गेशनंदिनी' छपा, जो बंगाल में मुगल विजय के काल की रोमांस कथा है। इसके बाद इन्होंने दर्जनों ऐतिहासिक और सामाजिक उपन्यासों का सृजन किया, जिनमें 'राजसिंह', 'सीताराम' और 'चंद्रशेखर' (ऐतिहासिक) तथा 'विषवृक्ष' और 'कृष्णकांतेर बिल' (सामाजिक) विशेष उल्लेखनीय हैं। 'कपालकुंडला' रोमांस और कल्पना की दृष्टि से अनूठी कृति है। 'आनंदमठ' में राष्ट्रीय चेतना की प्रखर अभिव्यक्ति है जिसका गीत 'वंदेमातरम्' भारत का राष्ट्रीय गीत माना गया। १८७२ में उन्होंने 'बंगदर्शन' नामक एक पत्र का प्रकाशन प्रारंभ किया, जो चार वर्ष तक चला। इस पत्र ने बँगला साहित्य को एक नई दिशा देने का काम किया।

अपनी सशक्त औपन्यासिक कृतियों के माध्यम से बंकिम बाबू ने जनसाधारण को इतिहास का रूमानी चित्र खींचकर चमत्कृत किया। भारतीय राष्ट्रीय चेतना के जागरण में इनकी लेखनी का योगदान स्तुत्य है। उनकी कृतियों का देश की प्राय: सभी भाषाओं में अनुवाद हुआ है।