फ्लैम्स्टीड (Flamsteed), जॉन (सन् १६४६-१७१९), इंग्लैंड के इस प्रथम राज ज्योतिषी का जन्म डर्बी नगर के निकट हुआ था। बुरे स्वास्थ्य के कारण इन्हें पाठशाला की पढ़ाई छोड़नी पड़ी, किंतु रुग्णावस्था में ही इन्होंने गणित ज्योतिष का अध्ययन आरंभ किया। जो भी पुस्तकें इन्हें मिलीं, इन्होंने पढ़ डालीं तथा निरीक्षण और मापयंत्रों का निर्माण भी आरंभ कर दिया। सन् १६७० में चंद्रमा से तारों की युति (conjunction), की गणना संबंधी आपके लेख के प्रकाशन से वैज्ञानिकों में आपको मान मिला।

इसी वर्ष इन्होंने जीज़स कालेज में नाम लिखाया तथा आइज़क न्यूटन से इनका परिचय हुआ। चार वर्ष में इन्होंने एम. ए. की उपाधि प्राप्त की। ग्रहों के वास्तविक तथा आभासी व्यासों पर सन् १६७३ में इनके लिखे लेख से न्यूटन को अपने प्रसिद्ध ग्रंथ प्रिंसिपिया के तृतीय खंड के लिए तथ्य मिले तथा हॉरक के चंद्रमा संबंधी मत के लिए इन्होंने गणितीय आधार दिए। समुद्र में जहाजों पर भोगांश ज्ञात करने की प्रस्तावित पद्धति पर विचार करने का कार्य सौंपे जाने पर, फ्लैम्स्टीड ने मत दिया कि प्रणाली सिद्धांतत: तो ठीक है, किंतु तारों और चंद्रमा की स्थितियों का पर्याप्त यथार्थता से ज्ञान न होने के कारण फल ठीक नहीं निकलते। फलत: ग्रीनिच में राजकीय वेधशाला की सन् १६७५ में स्थापना हुई और फ्लैम्स्टीड कुल सौ पाउंड वार्षिक वृत्ति पर प्रथम राजकीय ज्योतिषी नियुक्त हुए।

निरुत्साहित करनेवाली परिस्थितियों से घिरे रहने पर भी इन्होंने ४४ वर्ष तक अत्यंत अध्यवसाय और परिश्रम से इस वेधशाला में कार्य किया। निरीक्षण और मापन की इन्होंने अनेक उन्नत रीतियाँ निकालीं। ये छोटी से छोटी बातों पर सतर्कतापूर्वक ध्यान देते थे। हिस्टोरिया सीलेस्टिस ब्रिटैनिका (३ खंड), जिनमें इनके प्रेक्षणफल दिए हैं, और इनकी लिखी ३,००० तारों की महत् सारणी इनके सहायक, ऐब्रैहम शार्प, ने इनकी मृत्यु के पश्चात् पूरी की। चार वर्ष बाद ऐटलैस सीलेस्टिस नामक उच्च कोटि का इनका अन्य ग्रंथ प्रकाशित हुआ। (भगवान दास वर्मा.)