फ्रीडेल-क्रैफ्ट्स अभिक्रिया (Friedel-Crafts Reaction) ब्रेज़ीन वलय में एक या एक से अधिक हाइड्रोजन परमाणुओं को ऐल्किल या ऐसिल (acyl) समूहों द्वारा प्रतिस्थापित करने की विधि सन् १८७७ में फ्रीडेल एवं क्रैफ्ट्स ने मालूम की थी, अत: यह अभिक्रिया फ्रीडेल-क्रैफ्ट्स अभिक्रिया कहलाती है। इस अभिक्रिया के तीन विभिन्न अंग हैं।
(१)�� ऐरोमेटिक यौगिक - इसका ऐल्काइलीकरण करना होता है, जिसमें हाइड्रोकार्बन या उनके हैलोजन, हाइड्रॉक्सी, ऐमिनो आदि व्युत्पन्न हो सकते हैं। विषम चक्रीय यौगिकों का भी ऐल्काइलीकरण किया जा सकता है।
(२)�� ऐल्काइलीकारक (alkylating agent) - यह ऐल्किल केलाइड, ऐलिफ़ैटिक ऐल्कोहल, ऐलकीन या चक्रीय ऐलकेन (cycloparagffin) हो सकते हैं।
(३)�� उत्प्रेरक (catalyst) - इस अभिक्रिया का सबसे उत्तम उत्प्रेरक निर्जल ऐल्यूमीनियम क्लोराइड है, परंतु इसके अतिरिक्त (III), जिंक, टिन (IV) के क्लोराइड, बोरन ट्राइफ्लोराइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, सल्फ्यूरिक अम्ल तथा फॉस्फरिक अम्ल का उपयोग भी किया जा सकता है।
उदाहरण (क) हाइड्रोकार्बनों के संश्लेषण में
का६हा५अका६
हा३क्लो श्का६हा५.
का हा३अहा क्लो
्झ्रक्६क्त५अक्क्त३ क्थ्
श्क्६क्त५.
क्क्त३अक्तक्थ्ट
का६हा६अक्लो
का हा२ क्लोअका६हा६
श्का६हा५.
का हा२. का६हा५अ२हाक्लो
्झ्रक्६क्त६अक्थ् क्क्त२ क्थ्अक्६क्त६
श्क्६क्त५
क् क्त२ क्६क्त५अ२क्तक्थ्ट
३का६हा६अका हा
क्लो३ श्(का६हा५)३
काहाअ३हाक्लो
्झ्र३क्६क्त६अक् क्त क्थ्३
श्(क्६क्त५)३
क् क्तअ३क्तक्थ्ट
का६हा६अमू.औ हा. --र का६हा५मूअहा२औ
[C6H6+R. OH --र C6H5 R+H2O]
का६हा६अका हा२ : का हा२ --र का६हा५. का हा२. का हा३
[C6H6+CH2 : CH2 --र C6H5 CH2 CH3]
का६हा६अकाहा२-काहा२
--र का६हा५. काहा२.
काहा२. काहा३
काहा२
[C6H6+C H2-CH2 --र C6H5 CH2 CH2 CH3]
क्क्त२
(ख) ऐल्कोहल के संश्लेषण में
का६हा६अकाहा२-काहा२
--र का६हा५ काहा२
काहा२ काहा२ औ हा
4;
[C6H6+CH2-CH2 --र C6H5 CH2 CH2 OH]
ग्र्
(ग) ऐल्डीहाइडों के संश्लेषण में
का६हा६अकाऔअहाक्लो
श्का६हा५.
काहाऔअहाक्लो
्झ्रक्६क्त६अक्ग्र्अक्तक्थ् श्क्६क्त५
क्क्तग्र्अक्तक्थ्ट
(घ) कीटोनों के संश्लेषण में
का६हा६अकाहा३.
काऔक्लो श्का६हा५.
काऔ काहा३अहाक्लो
्झ्रक्६क्त६अक्क्त३क्ग्र्क्थ्
श्क्६क्त५
क्ग्र्क्क्त३अक्तक्थ्ट
का६हा६अका६हा५
काऔक्लो श्का६हा५
का औ का६हा५अहाक्लो
्झ्रक्६क्त६अक्६क्त५
क्ग्र्क्थ् श्क्६क्त५
क्ग्र् क्६ क्त५अक्तक्थ्ट
२का६हा६अकाऔक्लो२
श्का६हा५
का औ का६हा५अ२हाक्लो
्झ्र२क्६क्त६अक्ग्र्क्थ्२
श्क्६क्त५
क्ग्र्. क्६ क्त५अ२क्तक्थ्ट
(ङ) अम्लों के संश्लेषण में
का६हा६अका औ
क्लो२ श्का६हा५
का औ. क्लो
श्का६हा५
का औ औ हा
्झ्रक्६क्त६अक्ग्र्क्थ्२
श्क्६क्त५
क्ग्र्क्थ्
श्क्६क्त५
क्ग्र्ग्र्क्तट
(च) चक्रीय यौगिकों के संश्लेषण में
काहा२श् काहा२ 66;हा२काहा२
काहा२श् काहा२
ऐक्लो३ हा
क्लोकाऔश् काहा२ काऔश् काहा२ श्काहा२श् काहा२
क्क्त२CH2
क्क्त२क्क्त२ श्क्क्त२CH2
ॠथ्क्थ्३
क्त
क्थ्क्ग्र्CH2 क्ग्र्श् CH2 40;२CH2
(छ) क्विनोनो (quinones) के संश्लेषण में
औ
काऔ
काऔ
| |
कौअश्
काऔ श्काऔऔहा | |
4;
ग्र्
क्ग्र्
क्ग्र्श्श्
| |
ग्र्अश्
क्ग्र् क्ग्र्ग्र्क्त | |
7;्र्
इस अभिक्रिया की विशेषताएँ:
(१)�� क्रियाफल उत्प्रेरक पर निर्भर है।
का६हा५ का हा३अका
हा३ क्लो श्का६हा४
(का हा३)२ (मेटा)
्झ्रक्६क्त५ क्क्त३अक्क्त३
क्थ् श्क्६क्त४
(क्क्त३)२ (्थ्रड्ढद्यa)ट
का६हा५ का हा३अका
हा३ क्लो श्का६
हा४ (का हा३)२ (पैरा)
्झ्रक्६क्त५ क्क्त३अक्क्त३क्थ्
श्क्६क्त४
(क्क्त३)२ (घ्aद्धa)ट
(२)�� ऐल्किल हैलाइड - इनकी क्रियाशीलता इस प्रकार है।
फ्लोराइड ऊ क्लोराइड ऊ ब्रोमाइड ऊ आयोडाइड
साथ ही
तृतीयक हैलाइड ऊ द्वितीयक हैलाइड ऊ प्राथमिक हैलाइड
(३)�� विलायक - यदि अभिकारक द्रव रूप में है, तो विलायक की आवश्यकता नहीं पड़ती, परंतु ठोस रूप के यौगिकों (जैसे नैफ्थेलीन) के साथ प्रयोग करने के लिए विलायक की आवश्यकता होती है। नाइट्रोबेंज़ीन, कार्बन डाइसल्फाइड, पेट्रोलियम ईथर अच्छे विलायक हैं।
(४)�� ऐल्किन समूहों का समावयवीकरण - इस क्रिया के अंतर्गत प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड द्वितीयक में तथा द्वितीयक तृतीयक में परिवर्तित हो जाते हैं, अत: चाहे प्रोपाइल क्लोराइड लें या आइसोप्रोपाइल क्लोराइड, इन क्रियाओं के फलस्वरूप आइसोप्रोपाइल बेंज़ीन ही प्राप्त होगा।
काहा३
प्र्
का६हा६अका हा३ का हा२ का हा२ क्लो र का६हा५ का हा का हा३
40;३
प्र्
[C6H6+CH3 CH2 CH2 Cl र C6H5 CH CH3]
काहा३
प्र्
का६हा६अका हा३ का हा का हा३ र का६हा५ का हा का हा३
प्र्
क्लो
[C6H6+CH3 CH CH3 र C6H5 CH3 CH3]
प्र् प्र्
क्थ् क्क्त
(५)�� बेंज़ीन चक्र में ऑर्थो या पैरा अभिस्थापन करानेवाले समूहों की उपस्थिति में अभिक्रिया अधिक अच्छे प्रकार से होती है तथा मेटा अभिस्थापन करानेवाले समूहों की उपस्थिति में यह कम वेग से होती है, या बिलकुल ही अवरुद्ध हो जाती है।
अभिक्रिया का प्रक्रम-
(क) ऐक्लिल हेलाइड से :
श्मू+
+ ऐक्लौ४ -
हा+ +ऐक्लो४-र
हाक्लो + ऐक्लो३
(H+ + Al Cl4 - र H Cl + Al Cl3)
(ख) ऐल्कोहल से :
(हा+ + (हा औ बो फ्लो३) र हा२ औ + बो फ्लो३
(H+ + (HOBF3) र H2 O + BF3)
(ग) ऐसिड क्लोराइड से :
मू - का औ क्लो + ऐक्लो३ र
(मू-का औ-क्लो-ऐक्लो३) र मू का औ+ + ऐक्लो४-
(R - CO Cl + Al Cl3 र (R - CO Cl - Al Cl3) र RCO + AlCl4-)
बाकी क्रम (क) के अनुसार होते हैं।
द्विक्षारक अम्लों के ऐनहाइड्राइडों द्वारा फ्रीडल क्रैफ्टस अभिक्रिया - यह क्रिया वसा अम्लों के Ar Co व्युत्पन्नों के संश्लेषण में विशेष महत्व की है, जैसे
ड-ऐरोइल प्रोपिऑनिक अम्ल
ड- aroyl propionic acid.
ड-ऐरोइल ऐक्रिलिक अम्ल
ड- aroyl acrylic acid.
इन अभिक्रियाओं में ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बनों के अनेक व्युत्पन्न तथा द्विक्षारक अम्लों के भी व्युत्पन्न लिए जा सकते हैं, जिसके फलस्वरूप अनेक यौगिकों का संश्लेषण हो सकता है। (रामदास तिवारी.)