फ्रांसिस्की धर्मसंघ १३वीं शताब्दी ई. के प्रारंभ में असीसी के संत फ्रांसिस ने इस धर्मसंघ की स्थापना की थी। संस्थापक के मनोभाव के अनुसार इस संघ में विशेष रूप से निर्धनता पर बल दिया जाता है। इसके सदस्य अपने मठों में ध्यान, प्रार्थना तथा तपश्चर्या का जीवन बिताते हैं; इसके अतिरिक्त वे उपदेश आदि द्वारा अन्य पुरोहितों के काम में हाथ बँटाते हैं। धर्मप्रचार के क्षेत्र में भी उन्होंने महत्वपूर्ण सहयोग दिया है और आजकल भी वे ऐसा ही करते हैं। यह रोमन कॉथलिक चर्च का सबसे महत्वपूर्ण धर्मसंघ है (दे. धर्मसंघ)। आजकल इसके सदस्यों की कुल संख्या लगभग ४५,००० है : ये तीन शाखाओं में विभक्त हैं - फ्रायर्स माइनर २६,५००, कंवेंचुअल्स (३५००) और कैपुचिंस (१५,०००)। (रेवरेंड कामिल बुल्के)