फ्रांसिस प्रथम (१४९४-१५४७) फ्रांस का राजा जो वैलोई के चार्ल्स का पुत्र था। सन् १४९८ में लूई बारहवें के सिंहासनारूढ़ होने पर फ्रांसिस राज्य का संभावित उत्तराधिकारी मान लिया गया। सन् १५१९ में वह रोमन साम्राज्य के सिंहासन के लिए उम्मीदवार बना। इस पद पर चार्ल्स पंचम के चुन लिए जाने पर दोनों नरेशों में जो प्रतिद्वंद्विता प्रारंभ हुई, उसके परिणामस्वरूप १५२१-२९, १५३६-३८ और १५४२-४४ के युद्ध हुए। १५२५ के इटैलियन अभियान में बहादुरी से लड़ने के बाद पेविया नामक स्थान में उसे गहरी शिकस्त उठानी पड़ी। वह बंदी बना लिया गया और अपमान जनक संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद ही उसे छुटकारा मिला। वह बड़ी ही ढुलमुल नीति और अस्थिर विचारों का व्यक्ति था। उसके शासन काल में राज्य के अधिकारों और शक्ति में वृद्धि हुई। स्टेट्स जनरल (जनता, अमीरों तथा चर्च के प्रतिनिधियों की सभा) की बैठक बुलाई नहीं जाती थी और 'पार्लमेंट' के विरोध की परवाह नहीं की जाती थी। उसके खर्चीलेपन पर कोई नियंत्रण न था और अपनी प्रेमिकाओं तथा कृपापात्रों को उपहार तथा पेंशन आदि देकर वह मनमाना द्रव्य उड़ाया करता था जिससे प्रजा पर शासन का भार बढ़ता जाता था। वह साहित्यप्रेमी अवश्य था और विद्वानों का आदर करता था जिनमें उसके प्रशंसकों की कमी न थी।
फ्रांसिस द्वितीय (१७६८-१८३५) पवित्र रोमन साम्राज्य का अंतिम शासक, जो लिओपोल द्वितीय का लड़का था। पिता की मृत्यु के बाद सन् १७९२ में गद्दी पर बैठा। शासन के प्रारंभ में ही उसे फ्रांस के साथ युद्ध में संलग्न होना पड़ा जिसमें उसकी हार हुई और उसे नेदरलैंड्स तथा लोंबार्डी का क्षेत्र खाली कर देना पड़ा। शीघ्र ही उसे दूसरी बार फ्रांस से युद्ध करना पड़ा। इसमें भी उसकी पराजय हुई और उसे राइन नदी के तटवर्ती इलाके से हट जाना पड़ा। तीसरी बार के युद्ध में भी उसे कुछ और भूभाग से हाथ धोना पड़ा। अब उसने पवित्र रोम साम्राज्य के शासक की उपाधि छोड़ दी और अपने आप को फ्रांसिस प्रथम के नाम से आस्ट्रिया का सम्राट् घोषित किया। सन् १८१० मे उसने नेपोलियन के साथ अपनी लड़की मेरी लूई का विवाह करना स्वीकार कर लिया, जिससे कुछ समय के लिए उसे लड़ाइयों और संघर्षों से कुछ अवकाश मिल गया। फिर भी १८१३ में उसने फिर उन देशों का साथ दिया जो नेपोलियन का विरोध कर रहे थे। १८१५ मे हुई संधियों के परिणामस्वरूप उसे खोए हुए राज्य का बहुत सा भाग वापस मिल गया। इसके बाद मृत्यु पर्यंत वह शांतिपूर्वक शासन करता रहा।