फ्रमजी कोवासजी बानाजी पारसी समुदाय के नेता फ्रमजी कोवासजी बानाजी का जन्म १७६७ में हुआ था।
वे समृद्ध व्यापारी और अपने समय के जहाज़ों के सबसे बड़े ठेकेदार थे। जनकल्याणार्थ अनेक संस्थाओं के उत्थान के लिए आपने खुले दिल से सहायता दी। आप ही सर्वप्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने जी.आई.पी. रेलवे कंपनी (अब जो सेंट्रल रेलवे के नाम से जानी जाती है) का हिस्सा खरीदा। आप कॉटन वीविंग ऐंड स्पिनिंग इंडस्ट्रीज़ और बीमा कंपनियों आदि में हिस्सा लेनेवालों में अग्रणी थे। आप बंबई की चेंबर ऑव कॉमर्स के भी सदस्य थे।
इन सब में महत्वपूर्ण है फ्रमजी का देश की आर्थिक उन्नति में रुचि लेना जिसके फलस्वरूप आपने कृषि और बागवानी के सुधार में तत्परता दिखलाई। बंबई की पोवाई एस्टेट का अधिकारी होने का गर्व आपको ही प्राप्त था। यह कई ग्रामों का सम्मिलित रूप था जिसकी उन्नति में आपकी वैयक्तिक रुचि थी। बंबई के राज्यपाल जॉन मैलकॉम ने अत्यंत प्रसन्नता के साथ आपके उन सुधारों की चर्चा की थी जो आपने उस एस्टेट के लिए किए थे। इस स्थान को उपयोगी और वैभिन्यपूर्ण बनाने के लिए आपने बहुत अधिक पैसा लगाया। अनेक कुएँ खुदवाए, अनेक मकान तथा उत्तम सड़कों का निर्माण करवाया, शहतूत और नील के पौधे रेशम के कीड़ों के लिए लगवाए। इसके अतिरिक्त चीनी की एक उत्तम मिल बनवाई और नील बनाने के लिए आवश्यक भवनों का भी निर्माण करवाया था। आपके जातिगत और विजातीय दोनों ही दान स्मरणीय हैं जिनमें प्रमुख हैं पूजा के स्थानों का निर्माण, कुएँ खुदवाना, गरीब और अकालग्रस्तों की रक्षा, शिक्षण संस्थाओं को अनुदान आदि। जब ८५ वर्ष की आयु में आपका देहांत हो गया, आपको श्रद्धांजलि अर्पित करने के हेतु सर्वसाधारण की सभा की गई। सर्वसम्मति से यह निश्चित किया गया कि आपके नाम से 'फ्रमजी कावासजी संस्था' नामक संस्था स्थापित की जाए जो नागरिकता के क्रियाकलापों के केंद्र रूप में कार्य करेगी। ((स्व.) सर रुस्तम पेस्तन जी मसानी)