फोर्ड, हेनरी (१८६३-१९४७ ई.), अमरीकी मोटर निर्माता, का जन्म मिशिगैन (Michigan) राज्य के डीयरबॉर्न नामक नगर में हुआ था। इनके पिता आयरलैंडवासी थे, किंतु अपने माता पिता तथा अन्य संबंधियों के साथ अमरीका आकर डीयरबॉर्न के आस पास सन् १८४७ में बस गए और खेती करने लगे। हेनर फोर्ड ने १५ वर्ष की उम्र तक स्कूल में शिक्षा पाई और वे खेत पर भी काम करते रहे, किंतु इन्हें आरंभ से ही सब प्रकार के यंत्रों के प्रति कुतूहल और आकर्षण रहा। पिता के मना करने पर भी रात में गुप्त रूप से ये पड़ोसियों तथा अन्य लोगों की घड़ियाँ या अन्य यंत्र लाकर मुफ्त मरम्मत करने में लगे रहते थे।

१६ वर्ष की उम्र में ये घर छोड़कर डिट्रॉइट चले गए। यहाँ कई कारखानों में काम करके इन्होंने यांत्रिक विद्या का ज्ञान प्राप्त किया। सन् १८८६ में ये घर वापस आए, पिता की दी हुई ८० एकड़ भूमि पर बस गए और वहीं मशीन मरम्मत करने का एक कारखाना खोला। सन् १८८७ में इनका विवाह हुआ तथा इसी वर्ष इन्होंने गैस इंजिन और खेतों पर भारी काम करनेवाली मशीन बनाने की एक योजना बनाई, किंतु यंत्रों की ओर विशेष आकर्षण के कारण ये घर पर न टिक सके और फिर डिट्रॉइट चले आए।

सन् १८९० में इन्होंने डिट्रॉइट एडिसन इलेक्ट्रिक कंपनी में काम करना आरंभ किया और सन् १८९३ में पेट्रोल से चलनेवाली पहली गाड़ी बनाई, जिसमें चार अश्वशक्ति तक उत्पन्न होती थी और जिसकी गति २५ मील प्रति घंटा थी। सन् १८९३ में इन्होंने दूसरी गाड़ी बनानी प्रारंभ की तथा सन् १८९९ में इलेक्ट्रिक कंपनी की नौकरी छोड़कर डिट्रॉइट ऑटोमोबाइल कंपनी की स्थापना की। फिर इस कंपनी को छोड़कर ये दौड़ में भाग लेनेवाली गाड़ियाँ बनाने लगे। इन गाड़ियों ने कई दौड़ों में सफलता पाई, जिससे इनका बड़ा नाम हुआ। इस प्रसिद्धि के कारण ये सन् १९०३ में फोर्ड मोटर कंपनी स्थापित करने में सफल हुए।

प्रथम वर्ष में फोर्ड मोटर कंपनी ने दो सिलिंडर तथा आठ अश्वशक्तिवाली १,७०८ गाड़ियाँ बनाईं। इनकी बिक्री से कंपनी को शत प्रतिशत लाभ हुआ। दूसरे वर्ष ५,००० गाड़ियाँ बिकीं। फोर्ड इस कंपनी के अध्यक्ष हो गए और अंत में अन्य हिस्सेदारों को हटाकर अपने एकमात्र पुत्र, एडसेल ब्रायंट फोर्ड (Edsel bryant Ford), के सहित सपूर्ण कंपनी के मालिक हो गए। इनका उद्देश्य हलकी, तीव्रगामी, दृढ़ किंतु, सस्ती मोटर गाड़ियों का निर्माण करना था। इसमें सफलता प्राप्त करने के लिए इन्होंने मशीन के अंगों के मानकीकरण, प्रगामी संयोजन, व्यापक बिक्री तथा ऊँची मजदूरी देने के सिद्धांतों को अपनाया। इन्होंने खेती के लिए ट्रैक्टर भी बनाए। सन् १९२४ तक इनकी कंपनी ने २० लाख गाड़ियाँ, ट्रक और ट्रैक्टर बनाए थे, किंतु सन् १९३१ तक इनके सब कारखानों में निर्मित गाड़ियों की संख्या दो करोड़ तक पहुँच गई।

फोर्ड में आदर्शवादिता तथा कट्टरपन का विचित्र संमिश्रण था। ये पुंजोत्पादन के पक्षपाती थे, किंतु इनका यह भी विचार था कि उद्योग को इस प्रकार विकेंद्रित करना चाहिए कि खेती के साथ साथ कारखानों का काम भी चले। ये ऊँची मजदूरी देने के पक्ष में थे, किंतु मजदूर संघों के घोर विरोधी थे; यहाँ तक कि अपने कारखानों में संघों को पनपने न देने के विचर से ये भेदियों तथा सशस्त्र पुलिस से काम लेते थे। शांति के ये कट्टर पक्षपाती थे, किंतु नात्ज़ियों की भाँति ये यहूदी विरोधी थे। बैंकों और महाजनों से भी इनकी नहीं पटती थी। प्रथम विश्वयुद्ध के समय इन्होंने कुछ प्रभावशाली लोगों को एकत्रित कर ''ऑस्कर द्वितीय'' नामक शांति पोत पर यूरोप की यात्रा इस विश्वास से की कि यह अभियान युद्ध बंद कराने में समर्थ होगा। यह सब होते हुए भी देहाती जीवन के प्रति पक्षपात तथा अमरीका की विगत रीतियों तथा स्मृतिचिह्नों के प्रति अटूट श्रद्धा रखने के करण इन्होंने बड़ी लोकप्रियता प्राप्त की थी।

इनकी गणना संसार के सर्वप्रधान धनपतियों में थी। इन्होंने डीयरबॉर्न में एक औद्योगिक संग्रहालय तथा एडिसन इंस्टिट्यूट ऑव टेक्नॉलोजी की स्थापना की। मृत्यु के पूर्व इन्होंने अपनी संपत्ति का अधिकांश अपने नाम पर स्थापित जनहितैषी संस्था को दे दिया। यह संस्था संसार की लोकोपकारक संस्थाओं में सबसे धनी है। सन् १९४७ में इनकी मृत्यु हुई। अपनी मृत्यु से दो वर्ष पूर्व ही इन्होंने अपने पोते, हेनरी फोर्ड द्वितीय, को कंपनी का अध्यक्ष बना दिया था। (भगवान दास वर्मा)