फेरेसीदिज़, सिरोस का (Pherecydes of Syros) ईसा पूर्व छठी अथवा सातवीं शताब्दी का एक यूनानी साइरौस द्वीपनिवासी दार्शनिक एव धर्मशास्त्री, जिसे 'सप्तऋषियों' में भी गिना गया है और यूनान के दिव्य एवं स्वर्गलोकीय विषयों पर चिंतन करनेवाले प्रथम दार्शनिकों में तो माना ही जाता है। कहा जाता है, वह पिट्टेकस (Pittacus) का शिष्य तथा पाइथागोरस (Pythagoras) का गुरु था। फेरेसीदिज़ के जीवन के विषय में निश्चित रूप से बहुत कम बातें ज्ञात हैं। कहा जाता है, उसने फ़ोनीसियों (Phonicions) के गुप्त ग्रंथों का अध्ययन किया था, सामोस (Samos), एफ़ेसस (Ephesis), मेसेन (Messene), ओलिंपिया (Olympia), स्पार्टा (Sparta), तथा देल्फ़ी (Delphi) में भ्रमण किया, और थेलिज़ के साथ पत्रव्यवहार भी किया था। वह एथेंस (Athens) में पाइसिस्ट्रेटस (Peisistratus) के दल में था और एक और फियासानुयायी रहस्यवादी समाज का संस्थापक भी था। उसे प्रथम यूनानी गद्यलेखक भी माना जाता है। उसने आयोनी लोकभाषा में देवताओं द्वारा विश्व की उत्पत्ति के विषय पर एक सप्तकक्षीय विश्व (Seven chambered cosmos) नामक ग्रंथ की रचना की थी। इस ग्रंथ में आत्मा के अमरत्व एवं पुनर्जन्म के सिद्धांत का प्रथम पाश्चात्य प्रतिपादन है, और आकाश, अग्नि, वायु, जल तथा पृथ्वी को पंच मूलतत्व माननेवाले विज्ञान, रूपक तथा देवताओं की पौराणिक कथा के मिश्रण के रूप में एक दार्शनिक व्याख्या है। फेरेसीदिज़ का देवताओं के नाम, जन्म, भाषा और जीवन को जानने का दाबा था। उसके अनुसार आरंभ में केवल प्रथम कारण अस्तव्यस्तता (Choos) का अस्तित्व था। अमर देवी थोनी से विवाह के अवसर पर अमर देवता ज़ूस ने उसे एक बड़ा तथा सुंदर वस्त्र भेंट किया। इसपर उसने पृथ्वी, समुद्र और ओगैनोस (Ogenos) का महल काढ़ा हुआ था। जब जूस सृजन करने लगा तब वह काम देवता में रूपांतररित हो गया और उसने विपरीतों को मिलाकर विश्व के सभी पदार्थों में प्रेम, समानता और एकता की उत्पत्ति की। इस कथा में ज़ूस को सृजनात्मक तत्व अग्नि, आकाश अथवा सूर्य समझा जाता है। जूस के वीर्य अर्थात् कालदेव में से, जिसमें सब सृजित भूतों का वास है, नागदेव ओफ़ियोनिअस (Ophioneus) के नेतृत्व में टाइटन जाति का अर्थात् परस्पर विरोधी तत्व-अग्नि, प्राण, तथा जल का उदय बताया गया है। कालांतर में फेरेसीदिज़ की ख्याति पाइथागोरास की ख्याति से कुछ दब गई। फिर भी, उसके विरोधी तत्वों के रूपकात्मक वर्णन से प्रसिद्ध दार्शनिक हेराक्लाइटस को विशेष रूप से प्रभावित किया। कदाचित उसकी सप्तकक्षीय विश्व की धारणा से ही प्लातौन को प्रसिद्ध गुफाओंवाला रूपक सूझा होगा। अरस्तू ने भी फेरेसिदिज़ को यह कह कर मान्यता दी कि वह केवल धर्मशास्त्री मात्र नहीं था और उसके द्वारा वर्णित जूस सर्वोच्च शुभ का ही प्रतीक था। (राममूर्ति लूँबा)