फर्डिनंड प्रथम (जन्म १८६५; मृत्यु १९२७ ई.) रुमानिया का राजा। २४ अगस्त, १८६५ को सिगमैरिंजन (प्रशा) में जन्म हुआ। यह हाहेनजॉलर्न के प्रिंस लियोपोल्ड का द्वितीय पुत्र था। १८८९ में यह रुमानिया के राजसिंहासन का उत्तराधिकारी बनाया गया। एडिनबरा के ड्यूक की पुत्री और रानी विक्टोरिया की नतिनी सुंदरी राजकुमारी मेरी से जून, १८९३ में इसका विवाह हुआ।
फर्डिनंड ने अपने को रुमानियन घोषित किया। बाल्कन युद्ध (१९१३) में रुमानियन सेनापति रहा। सेना का पुनर्गठन किया। ११ अक्टूबर, १९१४ को विधिवत राज्याभिषेक हुआ। राष्ट्रीय एकता की रक्षा के लिए जर्मनी के विरुद्ध १९१६ में युद्ध की घोषणा की। महायुद्ध में पराजित हुआ। मोल्डाविया में शरण ली और लड़ाई जारी रखी। मारासेस्टी में जर्मनों का दृढ़ प्रतिरोध किया। ७ मई, १९१८ को शांति संधि हुई। बेसरबिया, बुकोविना और ट्रांसिल्वेनिया रुमानिया को मिले। राजपरिवार मोल्डाविया से फिर लौटा आया और १५ अक्टूबर, १९२२ को फर्डिनंड का पुन: राज्याभिषेक किया गया।
उसने अनेक शासनसुधार किए। बालिग मताधिकार जारी किया। बड़ी बड़ी जागीरें भंग की। अपनी जायदाद अपने 'किसान सिपाहियों को दे दी। सेना का आधुनिकीकरण किया। रुमानियन यहूदियों को नागरिकता के अधिकार दिए। १९२५ में अपने पुत्र केरोल को गद्दी के अधिकार से वंचित किया और छह साल के अपने पोते माइकेल को अपना वारिस चुना। १९२७ में २० जुलाई को इसका देहांत हो गया।
फर्डिनंड प्रथम : महान् - (जन्म, लगभग १००० और मृत्यु, १०६५ ई.) कैस्टील और लेऑन (स्पेन) का राजा : सांको ३य का दूसरा पुत्र। १०२८ में केस्टील पर प्रभुत्व स्थापित किया। माता के उत्तराधिकारी होने से १०३५ में राजा बना। स्वतंत्र राज्य स्थापित होने के दो साल बाद पत्नी साँचा के अधिकार से लेआन का राजा बना। पत्नी के भाई बरमूडो को लड़ाई में हराया और मारा, और अपने बड़े भाई के मरने पर १०५४ में राज्य का बड़ा भाग अपने राज्य में मिला लिया। मूरों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी। टोलेडो, जारागोजा और सेविल के सामंतों ने अधीनता स्वीकार की। १०५६ में इसने सम्राट् की उपाधि धारण की। स्पेन का यह पहला राजा था। जिसने यह पद ग्रहण किया। पोप विक्टर द्वितीय और सम्राट् हेनरी चतुर्थ के विरोध की इसने परवाह न की। होली (पवित्र) रोमन साम्राज्य से स्पेन के पृथक् रहने से स्पेनिश जनता प्रसन्न हुई। १०६५ में फर्डिनंड मरा और उसका राज्य उसके तीनों पुत्रों में विभक्त हो गया। दयालुता के लिए यह स्पेन के राजाओं में प्रसिद्ध है।
फर्डिंनंड द्वितीय - लेअॅान (स्पेन) का राजा। अल्फोंजों सप्तम का कनिष्ठ पुत्र। ११५७ ई. में गद्दी पर बैठा। मूरों से निरंतर संघर्ष करता रहा। पुर्तगाल के राजा को हराया। सन् ११८८ ई. में इसका देहांत हुआ।
फर्डिंनंड तृतीय 'संत' - (जन्म, लगभग १२००; मृत्यु, १२५२ ई.) कैस्टीलव लेऑन (स्पेन का राजा। सन् १२१७ ई. में कैस्टील के राजा हेनरी के देहांत के बाद वहाँ का राज्य इसे मिला। पिता अल्फोंज़ो नवम की मृत्यु (११३१) पर लेऑन पर भी राजा बना। मूरों से युद्ध किए। यूवेडा पर अधिकार (१२३४) कर, कोरडोवा (१२३६), और सेविल (१२४८) विजय किए। सेविल को अपनी राजधानी बनाया। लैटिन-गॉथिक विधि का फोरम जूडिकम (फ्यूएरों जुजगो) नाम से संग्रह और संहिताकरण किया। सालमंका विश्वविद्यालय की स्थापना की।
फर्डिंनंड चतुर्थं - (जन्म, १२८५; मृत्यु, १३१२ ई.) :श् १२९५ में अपने पिता सॉको चतुर्थ के देहांत के बाद कैस्टील और लेऑन का राजा। मूरों के साथ लड़ाई की तैयारी के समय अपने तंबू में ही इसका देहांत हुआ।
फर्डिंनंड प्रथम - (न्यायी (जस्ट)) जन्म, १३७३; मृत्यु, १४१६ ई.)श् यह १४१२ से १४१६ तक ऐरागॉन का राजा था।
फर्डिंनंड पंचम - कैस्टील (स्पेन) का, और द्वितीय, ऐरागॉन का राजा। जन्म, १४५२ ई. में, और मृत्यु, १५१६ ई. में। 'कैथोलिक' उपनाम से प्रसिद्ध यह जॉन द्वितीय का लड़का था। १७ साल की उम्र में कैस्टील की ईसाबेला से विवाह हुआ। इस विवाह संबंध से संयुक्त स्पेन राज्य का निर्माण संभव हुआ। ऐरागॉन, कैटालोनिया और वालेशिआ का फर्डिंनंड राजा था ही; ईसाबेला के भाई, हेनरी चतुर्थ के मरने पर १४७४ में ईसाबेला और फर्डिंनंड रानी और राजा घोषित किए गए। पतिपत्नी ने मिलकर संयुक्त रूप से राज्य किया। १४७९ में पिता के मरने पर ऐरागान मिल गया और यूरोप में स्पेन की शक्ति बढ़ी।
फर्डिंनंड ने सरदारों को वश में किया, न्याय का पुन:संगठन किया, यातायात व संचार में उन्नति की। रानी ईसाबेला की कैथोलिकों से सहानुभूति थी। अत: यहूदी राज्य से निकाल दिए गए। मूरों की भी यही गति हुई। खेती बहुत कुछ मूरों पर निर्भर थी और व्यापार यहूदियों पर। इस धार्मिक नीति के कारण इन दोनों को हानि पहुँची, यद्यपि तत्काल अनुभव नहीं हुआ। 'ग्रानडा' मूरों का स्पेन में अंतिम राज्य शेष रह गया था। १४९२ में फर्डिंनंड ने इसको विजय कर स्पेन से मूरों के राज्य का अंत कर दिया। १५०३ ई. में इसने नेपल्स पर अधिकार कर लिया था। १५०८ ई. में कैंब्राई संघ में सम्मिलित हुआ। १५१२ में स्पेनिश नवार (Navarre) भी उसने अधिकृत कर लिया। सरदारों के दुर्ग को नष्ट कर शासन का केंद्रीय करण किया। न्याय तथा शासनव्यवस्था में सुधार किए। पोप सिक्सटस चतुर्थ के निर्देश से १४७८ ई. में धार्मिक न्यायालय की स्थापना की गई। यहूदियों को बाध्य होकर धर्मपरिवर्तन करना पड़ा। मुसलमानों के सामने एक ही विकल्प था; इस्लाम छोड़ों या देश 'छोड़ो।
फर्डिंनंड का नाम एक और कारण से भी अविस्मरणीय रहेगा। पत्नी के आग्रह से १४९२ में कोलबंस को नई दुनिया की खोज के लिए भेजा गया। इसने स्पेनिश अमरीकी राज्य की नींव डाली। इसका राज्य पाइरेनीज पर्वतमाला से जिब्राल्टर तक फैल गया। अपने बच्चों की शादियों द्वारा आस पास के राजाओं को मित्र बनाया।
फर्डिंनंड षष्ठ - (जन्म, १७१३; मृत्यु, १७५९ ई.) स्पेन का राजा 'एलसैबियों' (विद्वान्) के नाम से प्रसिद्ध, फिलिप पंचम का द्वितीय पुत्र। पुर्तगाल की राजकुमारी बारबारा (ब्रगांजा की) से सन् १७२९ ई. में विवाह हुआ। १७४६ ई. में राज्यसिंहासन पर बैठा। ऐला शापेल की संधि पर १७४८ में हस्ताक्षर किए।
इसके मंत्री ज्ञानी और विद्वान् थे। साहित्य, कला व संस्कृति का पुनरुज्जीवन किया। सन् १७४४ में ललित कला अकादमी की स्थापना की। शांतिप्रिय था। आस्ट्रियन उत्तराधिकार की लड़ाई में शांति कराई। इंग्लैंड और फ्रांस के अनुरोध करने पर भी सप्तवर्षीय युद्ध से तटस्थ रहा। १७५८ में इसकी पत्नी का देहांत हुआ। इसके बाद से यह बीमार रहने लगा और फिर कभी रोगामुक्त नहीं हुआ।
फर्डिंनंड सप्तम - (जन्म १७८४, मृत्यु १८३३ ई.) स्पेन का राजा। चार्ल्स चतुर्थ तथा मेरिया लुई पर्मा का ज्येष्ठ पुत्र। पिता के राजगद्दी त्यागने पर १९ मार्च १८०८ में स्पेन का राजा घोषित किया गया। कुछ समय बाद नेपोलियन बोनापार्ट प्रथम ने स्पेन पर आक्रमण किया और इसे सन् १८१३ ई. तक कैद में रखा। १८१४ में यह स्पेन लौटा।
प्रायद्वीपी युद्ध की समाप्ति पर वह पुन: गद्दी पर बैठा और लोकतंत्रीय ढाँचा कायम रखने का झूठा वचन दिया। यह निर्बल प्रकृति का क्रूर और निरंकुश राजा था। स्पेनिश अमरीका गलती से खो दिया। सैनिक शासन देश में जारी किया। मरने से तीन मास पहले अपनी ज्येष्ठ पुत्री ईसाबेला द्वितीय को अपना उत्तराधिकारी बनाया।
फार्डिंनंड प्रथम - (जन्म, १५०३); मृत्यु, १५६४ ई.। जर्मन सम्राट् व होली रोमन सम्राट। फिलिप प्रथम का पुत्र और सम्राट् चार्ल्स पंचम का भाई। सन् १५२१ ई. में इसने बोहीमिया और हंगरी के राजा की पुत्री अन्ना से विवाह किया और अपने श्याल लुई के मरने पर १५२६ में बोहीमिया और हंगरी का राजा बना। १५३८ में जर्मनों ने भी इसको अपना राजा स्वीकार किया। आस्ट्रिया की रक्षा के लिए इसने तुर्कों से युद्ध किया। तुर्क नरेश सुलेमान द्वितीय से १५४१ में संधिकर धार्मिक विवादों का निर्णय किया, और बीहीमिया और हंगरी की गद्दी के दावेदार अपने प्रतियोगी जॉन जापोलिया की शक्ति भी तोड़ दी। चार्ल्स पंचम के बाद होली रोमन सम्राट् कहलाया (१५५६)।
प्रोटेस्टेंटों के प्रति इसकी नीति उदार थी। इसने चर्च में सुधार करने का यत्न किया पर विफल रहा। चर्च के दोनों भागों में एकता स्थापित करने का भी प्रयत्न किया। फिलिप द्वितीय की वसीयत से स्तेनिश हैप्सवर्ग का भी राजा हुआ और इस रीति से स्पेनिश अमरीका का भी राजा माना गया। आंस्ट्रियन हैप्सबर्ग का भी यह प्रमुख हो गया। इसके बाद स्पेन का हैप्सबर्ग वंश, आस्ट्रिया के हैप्सबर्ग राजवंश से सर्वथा पृथक हो गया। आस्ट्रिया के शासन में आंतरिक सुधार किए।
फर्डिंनंड द्वितीय - (जन्म, १५७८; मृत्यु १६३७ ई.) रोमन सम्राट्। लर्मव सम्राट् फर्डिंनंड प्रथम का पौत्र। प्रोटेस्टेंटों का कट्टर विरोधी था क्योंकि इसकी शिक्षा जेसुइट शिक्षकों द्वारा हुई थी।
इसका पिता स्टीरिया का आर्कड्यूक चार्ल्स १५९० में मरा, १५९६ में यह स्टीरिया कैरिंथिया और कार्नियोला का शासक बना। १६१७ में वोहीमिया का और १६१८ में हंगरी का राजा बना। प्रोटेस्टेंटों की दमन की नीति के कारण बोहीमिया में विद्रोह हो गया। उन्होंने फर्डिंनंड को राजगद्दी से हटाने और उसकी जगह फ्रेडरिक पंचम को चुनने की घोषणा की। यूरोप में तीस वर्षीय युद्ध शुरु होने का एक कारण यह हुआ। २८ अगस्त, १६१९ को फ्रांकफर्ट में फर्डिनंड होली रोमन सम्राट् चुना गया।
बवेरिया के ड्यूक मैक्सिमिलियन प्रथम की सहायता से इसने कैथोलिक लीग से मैत्री की और इसकी सहायता से फ्रेडरिक को बोहीमिया से निकाल देने से समर्थ हुआ। इसके बाद प्रोटेस्टेंटों का अंत करने का बीड़ा उठाया। १६२४ में फरमान निकाला कि कैथोलिक पादरी के सिवाय और किसी से पूजा न कराई जाय। १६२८ में बोहीमिया से सब प्रोटेस्टेंट पादरी निकाल दिए गए। चर्च से १५५२ के बाव जो जमीनें छीनी गई थीं वे सब उनको वापिस कर दी गईं। आस्ट्रिया में विद्रोह का दमन किया।
बवेरिया की सहायता से प्रतिक्रांति का समर्थन किया। तीसवर्षीय युद्ध में स्वीडिश गुस्टावस एडाल्फस इसकी सफलता में बाधक हुआ। फर्डिंनंड की सहमति से प्राग-शान्ति-सन्धि (१६३५) पर हस्ताक्षर हुए। प्रोटेस्टेंटों को कुचलने में यह सर्वथा विफल रहा। फ्रॉस के इस युद्ध में हस्ताक्षेप करने के कारण इसकी विजय पाने की आशा जाती रही।
फर्डिंनंड तृतीय - (जन्म, १६०८; मृत्यु १६५७ ई.) होली (पवित्र) रोमन सम्राट्। सम्राट् फर्डिंनंड द्वितीय का ज्येष्ठ पुत्र। तीसवर्षीय युद्ध में भाग लिया। इसकी शिक्षा भी पिता के समान जेसुइट लोगों की देख रेख में हुई थी। प्रोटेस्टेंटों को धार्मिक स्वतंत्रता देने का विरोधी था।
फरवरी, १६३७ में पिता के मरने पर राज्यासिंहासन पर बैठा। इससे पहले १६२५ में हंगरी का और १६२७ में बोहीमिया का राजा बन चुका था। १६३४ में वालस्टीन की हत्या हो जाने पर विशाल साम्राज्य की सेना का सेनापति होने का मनोरथ भी इसका पूर्ण हो गया।
१६३९ में जर्मनों का राजा चुना गया। वेस्टफेलियासंधि (१६४८) से लड़ाई बंद हुई। इटली में फ्रांसीसियों से लड़ने के लिए अपनी सेना भेजी। १६५७ में पोलैंड से संधि की। यह विद्वान् और गीतों का रचयिता था।
फर्डिंनंड चतुर्थ - (जन्म, १७५१; मृत्यु १८२५ ई.) नेपल्स का राजा (दो सिसिलियों का प्रथम तथा सिसिली का तृतीय)। स्पेन नरेश चार्ल्स तृतीय का तीसरा लड़का। १७६८ में सम्राज्ञी मैरिया थेरेसा की पुत्री मैरिया कैरोलिना से विवाह। यह पत्नीभक्त राजा था। १७५९ से १८०६ और १८१५ से १८२५ तक नेपल्स पर, और १७५९-१८२६ तक, फिर १८१६ से १८२५ तक, सिसिली पर राज्य किया। १८०६ से १८१५ तक नेपल्स पर नेपोलियन बोनापार्ट प्रथम के भाई जोसेफ बोनापार्ट ने शासन किया।
फर्डिंनंड को नेपोलियन प्रथम के समय फ्रांसीसियों से लड़ना पड़ा और नेपल्स और सिसिली कई बार छोड़ना पड़ा। १७९९ ई. मेंश् पार्थेंनोपियन (Parthenopean) गणतंत्र की स्थापना की गई थी। नेपोलियन प्रथम ने इसको भी जीता और अपने भाई जोसेफ बोनापार्ट को सौंप दिया (१८०६ ई.)। बिएना कांग्रेस ने जोसेफ बोनापार्ट को नेपल्स का राजा मान लिया था। किंतु आस्ट्रिया ने विएना कांग्रेस के निर्णय की अवहेलना की और अपनी सेना इटली भेजी। फ्रेंच सेना हारी। फर्डिंनंड ने पुन: अपना खोया राज्य पाया। किंतु जनता को दिया हुआ वचन भंग किया। गणतंत्र की जगह निरंकुश राजतंत्र की स्थापना की। यह निरंकुश और अत्याचारी राजा था। शासन वस्तुत: इसकी पत्नी करती थी।
फर्डिंनंड द्वितीय - (जन्म, १८१०; मृत्यु, १८५९ ई.) ''बॉम्बा'' नाम से प्रसिद्ध दो सिसिलियों का राजा। फ्रांसिस प्रथम का पुत्र। अयोग्य, निकम्मा, क्रूर था। सार्डिनिया के राजा एमैन्यूएल प्रथम की कन्या क्रिस्टिना से १८३२ में विवाह किया और आस्ट्रिया के आर्क ड्यूक चार्ल्स की लड़की मेरया थेरेसा से १८३६ में। १८३० में गद्दी पर बैठा। कुछ वैधानिक सुधार किए परंतु यह ज्यादा दिन नहीं टिके। इसकी मान्यता थी कि उसकी इच्छा ही कानून है। विद्रोह हुए, क्रूरता से कुचल दिए गए। अपने ही राज्य के शहरों में बमवर्षा करने में संकोच नहीं किया। इस कारण इसका नाम ही बॉम्बा पड़ गया।
फर्डिंनंड तृतीय - (जन्म, १७६९; मृत्यु, १८२४ ई.) टस्कनी का ग्रांड ड्यूक। सम्राट् लियोपोल्ड द्वितीय का कनिष्ठ पुत्र। पिता की सुधार की नीति को जारी रखा।
फ्रेंच गणतंत्र को स्वीकार करने के बाद पहली पराजय मिली। फ्लोरेंस पर फ्रेंचों का १७९९ में अधिकार हो गया। किंतु इसी साल पुन: इसको सिंहासन मिल गया। लूनेविले की संधि (१८०१) के अनुसार टस्कनी एट्ररिया के राज्य में बदल गया। १८१४ में पुन: गद्दी पर बैठा। १८१५ में कुछ समय के लिए गद्दी छोड़नी पड़ी किंतु वाटरलू की लड़ाई के बाद टस्कनी में इसका शासन निर्विघ्न रहा।
फर्डिंनंड प्रथम - (जन्म १८६१; मृत्यु १९४८ ई.), बलगेरिया का राजा बना १८८७ में। १९०८ में इसने बलगेरिया को स्वतंत्र घोषित किया।
यह अत्यंत बुद्धिमान और नीतिनिपुण शासक था। जर्मनों का पक्षपाती होते हुए भी इसने रूस के जार की सहानुभूति प्राप्त की। इसने १९१२ के बॉलकन युद्ध में भाग लिया।
सर्विया, ग्रीस, माँटीनीग्रो और बलगेरिया को मिलाकर इसने पहला बाल्कन संघ बनाया और तुर्की को पराजित किया किंतु, विजय की लूट में कम भाग मिलने से ग्रीस और सर्बिया असंतुष्ट रहे। फलत: दूसरा बाल्कन युद्ध प्रारंभ हुआ और इसमें रूमानिया भी सम्मिलित हुआ। बलगेरिया अकेला ही लड़ा। १० अगस्त १९१३ की बुखारेस्ट की संधि से बलगेरिया ने वह सब खो दिया, जो उसने तुर्की से लड़ाई करके पाया था। बल्गेरिया के राष्ट्रवादी इससे बहुत असंतुष्ट और निराश हुए। प्रतिरोध की भावना उनमें जाग गई।
प्रथम महायुद्ध छिड़ने पर बल्गेरिया पहले तटस्थ रहा। परंतु, ४ अक्टूबर, १९१५ को बुखारेस्ट संधि के प्रतिशोध के लिए जर्मन आस्ट्रिया की ओर से लड़ने को मैदान में आया। मैसीडोनिया और ्थ्रोस में विजयी रहा, पर सितंबर, १९१८ में इसकी सेना हार गई और विरामसंधि हुई। ४ अक्टूबर, १९१८ को इसने अपने पत्र बोरिख के पक्ष में सिंहासन त्याग दिया और कोबर्ग (जर्मनी) में शरण ली। वहीं इसका देहांत हुआ।
फर्डिंनंड प्रथम - (जन्म, १७९३; मृत्यु, १८७५ ई.) आस्ट्रिया का सम्राट्, हंगरी का भी राजा (१८३०-१८४५)। फ्रांसिस प्रथम और नेपल्स की मेरिया थेरेसा का ज्येष्ठ पुत्र। बचपन से इसको मृगी के दौरे आते थे और इसका जीवन इस रोग से लड़ते हुए ही बीता।
१८३५ में यह सिंहासन पर बैठा, पिता की नीति जारी रखी। प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ प्रिंस मेटरनिक इसका प्रधान मंत्री था। छोटे-मोटे अनेक शासनसुधार किए पर जनता को संतोष नहीं हुआ। १८४८ में विएना में भी यूरोप के अन्य स्थानों के समान क्रांति की ज्वाला भड़की। फलत: दिसंबर, १८४८ में सिंहासन त्यागने को बाध्य हुआ। फ्रांसिस जोसेफ को राज्य देकर यह प्राग चला गया और वहीं शेष जीवन बिताया।
फर्डिंनंड प्रथम - (जन्म, १४२३; मृत्यु १४९४ ई.) १४५८ में नेपल्स का राजा बना। १४६० में विद्रोहियों द्वारा हराया गया। १४६४ में पुन: राजसत्ता स्थापित की। १४८० में तुर्कों से परास्त हुआ किंतु १४८१ में इसके पुत्र अल्फाँसो ने उनपर विजय प्राप्त की। १४८५ में एक राजविद्रोह दबाया और अपने वचन के विरुद्ध विद्रोहियों का धोखे से वध करा दिया।
फर्डिंनंड द्वितीय - (जन्म, १४६९; मृत्यु, १४९६ ई.) फर्डिंनंड प्रथम का पोता। फ्राँस के चार्ल्स अष्टम से युद्ध करना पड़ा स्पेनीय सेनानायक कार्डीवा की सहायता से विजय प्राप्त की किंतु थोड़े ही काल तक शासन कर पाया।
फर्डिंनंड प्रथम - (जनम, १३४५; मृत्यु, १३८३ ई.) पुर्तगाल का राजा। अपने पिता पेड्रो के देहांत के बाद १३६९ में केस्टील की गद्दी का एक दावेदार यह भी हुआ। १३७० से १३८२ तक ट्रास्टामारा के हेनरी के साथ लड़ाई चली जो इसके लिए अत्यंत घातक ठहरी। १३८३ की संधि से लड़ाई बंद हुई, किंतु उसके बाद यह अधिक नहीं जिया।
फर्डिंनंड द्वितीय - (जन्म, १८१६; मृत्यु, १८८५ ई.) पुर्तगाल का नाम मात्र का राजा। १८३६ में इसका विवाह पुर्तगाल की रानी से हुआ। रानी की मृत्यु के बाद १८५३ से १८५५ तक यह रीजेंट रहा। १८६९ में एक अमरीकी महिला से विवाह किया। यह कलाकर भी था।
फर्डिंनंड - (जन्म, १५७७; मृत्यु, १६५० ई.) कोलोन का एलेक्टर। बवेरिया के ड्यूक विलियम पंचम का पुत्र। यह अपने बड़े भाई बवेरिया के ड्यूक मैक्सिमिलियन प्रथम का समर्थक और प्रोटेस्टेंटों के विरुद्ध उत्तरी जर्मनी में लड़ाई जारी रखने का पक्षपाती था। तीस वर्षीय युद्ध (१६१९-१६४८) में भाग लिया। लीज के नागरिकों ने विद्रोह किया। वेस्टफालिया की संधि के कारण उसको अपनी सारी शक्ति विद्रोह को कुचलने में लगाने का अवसर मिल गया और इसने नागरिकें के अनेक विशेषाधिकार छीन लिए। (अवनींद्र कुमार विद्यलंकार.)