फरीदुद्दीन अत्तार फरीदुद्दीन अबू हमीद मुहम्मद बिन इब्राहीम अत्तार (गंधी) के नाम से लोकप्रसिद्ध थे। जन्म नीशापुर में स्थित कोकन (कटुकन) नामक ग्राम में ५१३ हि. (१११९ ई.) में हुआ था। उनकी जीवनी के संबंध में जो थोड़ी सी सामग्री मिलती है उससे विदित होता है कि उन्होंने १३ वर्ष मशहद्र में तथा ३९ वर्ष महान् सूफियों की गद्य और पद्य रचनाओं को संगृहीत करने में बिताए थे। वह संगीतप्रेमी और ईश्वरभक्त थे। वह फारसी में कविता थी करते थे। मौलाना जामी के मतानुसार फरीदुद्दीन अत्तार की मम्नवियों और गज़लों में एकेश्वरवाद संबंधी जिन रहस्यों और भक्ति के संकेत मिलते हैं वैसे समकालीन किसी सूफी कवि के यहाँ उपलब्ध नहीं हैं। वह महान् लेखक थे। अपने कथनानुसार उन्होंने ४० रचनाएँ कीं जिनमें २०२,०६० शेर हैं। गद्य की रचनाओं में तजकिरतुल औलिया है जिसमें सूफियों की जीवनियाँ हैं। यह पुस्तक बहुत महत्वपूर्ण है। निकलसन ने संपादित कर इसे प्रकाशित कर दिया है। इसी प्रकार उनका पद्यसंग्रह भी अन्य भाषाओं में अनूदित हो चुका है। फ्रांसीसी भाषा में 'पंदनामा' को सील विस्टर देसे ने अनूदित करके १८१९ में प्रकाशित किया। मंतिक-अल-तैर को गार्सां द तासी ने १८५७ में संपादित करके फ्रांसीसी में अनूदित किया। उनका 'कुल्लियात' (काव्यसंग्रह) लखनऊ से प्रकाशित हुआ। मंगोलों के हाथों उनकी हत्या हुई। उनके देहावसान की तिथि के संबंध में लेखकों में मतभद पाया जाता है। कहते हैं, मृत्यु के समय उनकी अवस्था ११४ वर्ष की थी।

सं. ग्रं. : दौलत शाह समरकंदी, तजकिरत-उल ओहरा (संपादित, ब्रौन १५७); मौलाना अब्दुर्रहमान जामी, नपहातुल, डंस (नवलकिशोर) ५४०-५४१, दारा शिकोह, सफीनतुल औलिया (उर्दू अनुवाद, कराँची, १९६१) २२६; मौलाना गुला सर्वर, खजीनतुख आसफिया (नवलकिशोर १३२० २,२६२-६३ सईद नफीसी जुस्तुजू दूर अहवाल व अत्तरी फरीदुद्दीन अत्तारी नीशापूरी (तहरान, १३२०) Encyclopaedia of Islam (New edition, 1960) १,७५२ ब ७५५ अ ब्रौन - A Literary History of Persia (London 1928) २,५८१ (मुहम्मद उमर)