फतह खां मुगल सम्राट् शाहजहाँ के राज्य का एक सरदार। यह मलिक अंबर हब्शी का पुत्र था। पिता की मृत्यु पर निजामशाही का प्रबंधक बनकर फतह खाँ ने मुर्तज निजामशाह से सारे अधिकार छीन लिए। मुर्तजा ने इसे जुनेर में कारावास में डाल दिया। परंतु यह कारावास से निकल भागा। पकड़े जाने पर यह दौलताबाद में कैद किया गया। परिस्थित से बाध्य होकर मुर्तजा निज़ामशाह ने इसे प्रधान मंत्री और सेनापति नियुक्त किया। फतह खाँ ने षड्यंत्र करके १६३८ में मुर्तजा को उन्मत घोषित कर पहले कैद में डाल दिया और बाद में उसे मार कर उसके दस वर्षीय पुत्र हुसैन को गद्दी पर आरूढ़ किया। इसी बीच बीजापुर नरेश आदिलशाह ने दौलतावाद पर अधिकार करने की योजना बनाई। फतह खाँ की अदूरदर्शिता से दौलाताबाद दुर्ग आदिलशाह के अधिकार में चला गया। उस समय से इसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। इसलिए सम्राट् ने कुछ वृत्ति उसे देकर एकांतवास की अनुमति दे दी। यह लाहौर में रहने लगा और वहीं इसकी मृत्यु हुई।