फ़्ख्राुद्दीन देहलवी, शाह जन्म १७१४ ई. में औरंगाबाद में हुआ। वे शाह कलीमुल्लाह देहलवी के प्रसिद्ध शिष्य शाह निज़ामुद्दीन के पुत्र थे। शिक्षा दीक्षा के उपरांत उन्होंने कुछ समय तक शाही सेना में भी सेवा की किंतु बाद में दिल्ली पहुँचकर पूरा समय ईश्वर के ध्यान एवं शिक्षा दीक्षा में व्यतीत कने लगे। निज़ामुल अक़ायद मरजिया, तथा फ़्ख्राुल हसन नामक ग्रंथों की रचना की। दीनता, नम्रता एवं सेवाभाव आपके जीवन का लक्ष्य था। आपके प्रभाव से १८ वीं शती में चिश्तिया निजामिया सिल्सिले को दिल्ली में बड़ी उन्नति प्राप्त हुई। उन्होंने जुमे की नमाज के खुतबे को हिंदी में पढ़ने की सलाह दी। हिंदुओं तथा सिखों से भी बड़े प्रेम से मिलते और उन्हें अपने उच्च स्वभाव से प्रभावित करने का प्रयत्न करते थे। ९ मई, १७८५ ई. को उनका देहावसान हुआ और वे ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के मज़ार के पास दफ़न हुए।
सं. ग्रं. - (फारसी) नूरुद्दीन हुसेनी : फ़्ख्राु त्तालेबीन (हस्तलिखित) निजामुलमुल्क : मनाकिबे फ़्ख्राया (हस्तलिखित) (सैयद अतहर अब्बास रिज़वी)