फकीर साधारणत: भिखारी, किंतु अरबी में इस ग़्नाी (संपन्न) के प्रतिकूल समझा जाता है। कुरान की आयत ''तुम सब को फ़ुक़रा (फ़कीर का बहुवचन) अल्लाह के, केवल अल्लाह ही गनी है'' ने एवं हज़रत मुहम्मद के कथन ''फ़क्र (दीनता) मेरा गौरव है'' ने फ़कीर के महत्व को इस्लामी साहित्य एवं संस्कृति में अत्यधि बढ़ा दिया है। उत्कृष्ट सूफी संत अपने लिए 'फ़क़ी' का प्रयोग बड़े गौरव से करते थे।
सं. ग्रं. - कुरान, सूरा ३५, आयत १६ (सैयद अतहर अब्बास रिज़वी)