प्लैटिनम समूह आवर्त सारिणी के आठवें समूह में छह तत्वों का एक समूह है। इस समूह के तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणों में बहुत समानता है। इन तत्वों के नाम रूथेनियम (Ruthenium रुय' RU), रोडियम (Rhodium, रो, Rh), पैलेडियम (Palladium, पै, Pd), ऑस्मियम (Osmiom, आस' Os), इरीडियम, (Iridium, इ, Ir) और प्लैटिनम, (Platinum, प्लै, Pt) हैं।
बहुत काल तक इन धातुओं के समूह को एक धातु समझकर प्लैटिनम ही कहा जाता रहा है, क्योंकि यह नाम स्पेनी भाषा के प्लैटिनो (Platino) शब्द पर निर्भर है, जिसका अभिप्राय चाँदी है। १६वीं शताब्दी में एक ऐसे श्वेत तत्व का वर्णन किया गया है, जो मेक्सिको की खानों से लाया गया था और जो गलत न था। एक बार स्पेन की सरकार ने इस धातु को इस भय से फेंक देने की आज्ञा दी कि कहीं यह चाँदी में न मिलाया जाए। १८वीं शताब्दी में यूरोप के वैज्ञानिकों का इस धातु की ओर ध्यान आकर्षित हुआ। सन् १७५२ में शेफेयर (Scheffer) ने अपने अनुसंधनों द्वारा ज्ञात कि यह तत्व नाइट्रिक अम्ल से अप्रभावित रहता है, परंतु अम्लराज (aqua regia) में विलीन हो जाता है।
१८०३-४ ई. में कथित प्लैटिनम धातु में अन्य मिश्रित धातुओं की खोज हुई। रोडियम और पैलेडियम की खोज वुलैस्टन (Wollaston) ने १८०३ ई. में की और १८०४ ई. में ऑस्मियम (Os) और इरीडियम (Ir) की खोज टेनैंट (Tennant) ने की। रूथेनियम (Ru) अत्यंत विरल होने के कारण उस समय न खोजा जा सका। उसको क्लाज (Klaus) नामक रूसी वैज्ञानिक ने १८४५ ई. में खोजा।
उपस्थिति - प्रकृति में प्लैटिनम समूह के तत्व मिश्रित अवस्था में मिलते हैं। उच्च गुण के होने के कारण बहुधा युक्त अवस्था में अन्य अयस्कों के साथ मिले रहते हैं। ऑस्मियम और इरीडियम की मिश्रधातु ऑस्मिरीडियम अनेक स्थानों पर समुचित मात्रा में मिलती है। प्लैटिनम-समूह-मिश्रणों में प्लैटिनम धातु की मात्रा सबसे अधिक रहती है, परंतु कैनाडा और दक्षिणी अमरीका के कुछ अयस्कों में प्लैटिनम और पैलेडियम की समान मात्रा भी पाई गई। कुछ स्थानों पर इन धातुओं के यौगिक भी मिलते हैं, जैसे स्पेरीलाइट (Sperrylite, PtAs2) और ब्रेगाइट (Braggite PdS)। प्लैटिनम समूह के मिश्रणों में ताम्र, स्वर्ण और लौह अशुद्धियों के रूप में बहुधा उपस्थित रहते हैं। दक्षिण अमरीका, सोवियत संघ, कैनाडा, मेक्सिको और दक्षिणी अफ्रीका इन धातुओं के मुख्य स्रोत हैं।
पृथक्करण - प्लैटिनम समूह की धातुओं की निर्माणविधि की कियाएँ गोपनीय रखी जाती हैं। प्लैटिनम समूह की धातुओं के मुख्य रूप से दो स्रोत हैं : अयस्क और निकल विशुद्ध करते समय बचे अवसाद। दोनों से ही समुचित मात्रा में ये धातुएँ मिलती हैं और दोनों शुद्धि क्रियाओं की विधियाँ लगभग समान हैं। अयस्क को घनत्व पृथक्करण (gravity separation) विधि द्वारा सांद्रित किया जाता है। इस प्रकार प्राप्त सम्मिश्रण अथवा निकल अवसाद को अम्लराज में उबालते हैं, जिससे ऑस्मिरीडियम और कुछ रूथेनियम अविलेय अवस्था में रह जाते हैं तथा प्लैटिनम, पैलेडियम, रोडियम और कुछ इरीडिय इस क्रिया द्वारा विलीन हो जाते हैं। विलयन में दूधिया चूना (milk of lime) डालने से अपद्रव्य (विशेषकर लौह और ताँबा) तथा इरीडियम, रोडियम, रूथेनियम और कुछ पैलेडियम अवक्षेपित होंगे। बचे विलयन को वाष्पित करने पर धातुओं के क्लोराइड यौगिक प्राप्त होंगे। इन क्लोराइडों को तप्त करने पर अशुद्ध (कुछ पैलेडियम मिश्रित) प्लैटिनम धातु मिलेगी। इसे अम्लराज में विलीन कर अमोनियम क्लोराइड डालने पर प्लैटिनम, क्लोरोप्लैटिनेट के रूप में अवक्षेपित हो जाता है। बचे विलयन में अमोनिया जल के डालने से पैलेडियम के यौगिक पै (ना हा३)२ क्लो२ (PD (NH३) २ Cl२) का अवक्षेप प्राप्त होता है।
विलयन में दूधिया चूना डालने पर प्राप्त हुए अवक्षेप से अपद्रव्य दूर कर अवक्षेप को अम्लराज में विलीन करते हैं। विलयन को सांद्रित कर अमोनियम क्लोराइड डालने पर इरीडियम का संकीर्ण यौगिक अवक्षेपित हो जाता है। तत्पश्चात् अमोनिया जल डालने पर पैलेडियम प्राप्त होगा। बचे विलयन को वाष्पित कर तप्त करने से रोडियम रूथेनियम की मिश्रधातु मिलती है। इस मिश्रण को पोटैशियम बाइसल्फेट से संगलित करने से रोडियम डाइसल्फेट यौगिक बनता है और रूथेनियम धातु अप्रभावित रहती है।
सर्वप्रथम अम्लराज की क्रिया से बचे मिश्रण ऑस्मिरीडियम (ऑस्मियम-इरीडियम की मिश्रधातु) और रूथेनियम को एक ऐसी नलिका में गरम करते हैं जिसके द्वारा ऑक्सीज़न का प्रवाह हो रहा हो। इस क्रिया में ऑस्मियम और रूथेनियम के वाष्पशील ऑक्साइड बनेंगे, जो वाष्पीकृत होकर ठंढे स्थानों में जमा होंगे। इरीडियम नलिका में अप्रभावित रहेगा।
गुणधर्म - इन तत्वों के कुछ भौतिक गुणधर्म निम्नांकित हैं :
संकेत |
रूथेनियम |
रोडियम |
पैलेडियम |
ऑस्मियम |
इरीडियम |
प्लैटिनम |
Ru |
Rh |
Pd |
Os |
Ir |
Pt |
|
परमाणु संख्या |
४४ |
४५ |
४६ |
७६ |
७७ |
७८ |
परमाणु भार |
१०१.१ |
१०३.९ |
१०६.४ |
१९०.२ |
१९२.२ |
१९५.०९ |
गलनांक डिग्री सें. |
२५०० |
१९६० |
१५५२ |
२७०० |
२४४३ |
१७६९ |
क्वथनांक डिग्री सें. |
४९०० |
४५०० |
४००० |
५५०० |
५३०० |
४४१० |
घनतव |
१२.४३ |
१२.५ |
१२.० |
२२.४८ |
२२.४ |
२१.४५ |
इस समूह के तत्वों के गलनांक एवं क्वथनांक उच्च हैं। यह सब तत्व रासायनिक दृष्टि से निष्क्रिय हैं। यह ध्यान देने योग्य बात है कि इस समूह के सारे तत्वों में उत्प्रेरकता (catalytic activity) का गुण वर्तमान है। प्लैटिनम और पैलेडियम अनेक रासायनक उद्योगों में उत्तम सिद्ध हुए हैं।
रूथेनियम - यह श्वेत रंग की कठोर और भंगुर धातु है। इसका चूर्ण मटमैले रंग का होता है, जो ऑक्सीजन में जलकर डाइऑक्साइड (RuO2) बनाता है। ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में यह निष्क्रिय रहता है और कसी भी अम्ल या अम्लराज से प्रभावित नहीं होता, परंतु वायु की उपस्थिति में हाइड्रोक्लोरक अम्ल भी रूथेनियम पर आक्रमण करता है। रूथेनियम का अम्लीय गुण ऊँची संयोजकता में प्रधान हो जाता है। इसके कारण कॉस्टिक पोटाश और पोटैशियम नाइट्रेट के संगलित मिश्रण द्वारा पोटैशियम रूथेनेट (K2RUO4) बनता है। एक अन्य पररूथेनेट (KRuO4) भी ज्ञात है। ऑक्सीजन की उपस्थिति में अम्लराज के प्रभाव से रूथेनियम टेट्राऑक्साइड (RU O4) बनाया जा सकता है, जो पीले रंग का गलनीय (गलनांक २५.५ सें.) पदार्थ है। १००रू सें. पर यह विघटित हो जाता है। रूथेनयम द्वारा अमोनया साइनाइड, हैलोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि से बने अनेक संकर लवण ज्ञात हैं।
रूथेनियम अन्य प्लैटिनम धातुओं को कठोर करने के उपयोग में आता है।
रोडियम - रोडियम श्वेत रंग की तन्य धातु है। गलनांक के लगभग इसकी सतह पर ऑक्सीकरण हो जाता है। सघन धातु पर अम्लों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, परंतु चूर्ण अवस्था में यह सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल और अम्लराज में घुलता है। लाल ताप पर रोडियम ऑक्सीजन से क्रिया कर ऑक्साइड (Rh2O2) बनाता है। इसी ताप पर क्लोरीन द्वारा क्लोराइड भी बनता है। पोटैशियम बाइसल्फेट के संगलन द्वारा विलेय रोडियम सल्फेट (Rh2 (So4)3) बनता है। रूथेनयम की भाँति रोडियम भी संकीर्ण यौगिक बनाता है।
रोडियम-प्लैटिनम मिश्रधातु द्वारा उच्च गलनांकवाले तार बनाए जाते हैं, जिनका उपयोग भट्ठियों में या उच्चताप तंतुओं (high temperature filaments) में होता है।
पैलेडियम - पैलेडियम, प्लैटिनम की भाँति श्वेत रंग की धातु है, परंतु प्लैटिनम समूह की अन्य धातुओं से कोमल होता है। पैलेडियम में कुछ गैसों (विशेषकर हाइड्रोजन) के अधिधारण (occlusion) का गुण है। चूर्ण अवस्था में यह अपने आयतन से ७०० गुने से अधिक हाइड्रोजन का अधधारण कर लेता है। अधिधारित हाइड्रोजन अत्यंत सक्रिय हो जाता है। इस कारण पैलेडियम में उत्प्रेरक गुण वर्तमान है। पैलेडियम लाल ताप पर ऑक्सीजन के साथ ऑक्साइड (PdO), फ्लुओरीन से फ्लोराइड (PdF2), क्लोरीन से क्लोराइड (Pdcl2) और गंधक से सल्फाइड (PdS) बनाता है।
सांद्र नाइट्रिक अम्ल पैलैडियम को शीघ्र विलीन कर पैलेडियम नाइट्रेट (Pd(NO3)2) बनाता है। अम्लराज में पैलेडियम अति सरलता से विलेय होकर क्लोरो पैलेडेट (Pd Cl6) आयन बनाता है।
पैलेडियम के अनेक संकर लवण ज्ञात है, जिनमें एमीन (amine) समूह (Pd (NH3)4 Cl2) मुख्य हैं। डाइमिथाइल ग्लाइआक्जीम (dimethyl glyoxime) के साथ यह पीले रंग का जटिल अवक्षेप (complex precipitate) बनाता है। यह यौगिक पैलेडियम के विश्लेषण में उपयोगी है।
पैलेडियम का उपयोग विद्युत् उद्योग में हो रहा है इसके अतिरिक्त दंत मिश्र (dental alloy), निब के अग्रभाग तथा आभूषणों में यह काम आता है। कुछ रासायनिक उद्योगों में यह उत्प्रेरक का कार्य करता है। पैलेडियम लवण फोटोग्राफी तथा कार्बन मोनोऑक्साइड की पहचान में भी काम आते हैं।
ऑस्मियम - ऑस्मियम सबसे गुरु तत्व है। सघन अवस्था में यह हलका नीला श्वेत रंग लिए रहता है, परंतु चूर्ण धातु का रंग गहरा नीला है। यह अत्यंत कठोर, परंतु भंगुर तत्व है। कोई अन्य तत्व ऑस्मियम से उत्तम उत्प्रेरक नहीं है।
ऑस्मियम अत्यंत सरलता से आक्सीजन से क्रिया पर टेट्राऑक्साइड (OsO4) बनाता है, जो वाष्पशील होता है। इस कारण चूर्ण धातु में इस ऑक्साइड की गंध सदैव आती रहती है। ऑस्मियम टेट्राऑक्साइड ग्रीज, धूल आद से अपचयित (reduce) हो डाइऑक्साइड (OsO2) में परिणत हो जाता है। ऑस्मियम डाइऑक्साइड (Os O2) काला पदार्थ है, जो वाष्पशील नहीं है। इस कारण ऑस्मियम की नलिका या बोतल की दीवारों तथा ढक्कन पर काली ऑक्साइड सदा जमी रहती है। ऑस्मियम पर अम्लराज की क्रिया द्वारा ऑस्मियम टेट्राऑक्साइड बनता है। सांद्र नाइट्रिक एवं सल्फ्यूरिक अम्ल चूर्ण ऑस्मियम का ऑक्सीकरण कर देते हैं। ऑस्मियम अमोनिया, हैलोन तथा अनेक कार्बनक यौगिकों के साथ द्विगुण लवण और संकर लवण बनाता है। ऑस्मियम की मिश्रधातु आभूषणों में, उच्च कोटि की मशीनों के पुर्जों में तथा निबों के अग्रभाग आदि में काम आती हैं, क्योंकि यह धातु कठोर एवं संक्षारण प्रतिरोधी होती है।
ऑस्मियम टेट्राऑक्साइड अनेक रासायनिक अभिक्रियाओं में ऑक्सीकारक एवं उत्प्रेरक का कार्य करता है। जीवविज्ञान में इसका उपयोग ऊतकों को कठोर बनाने तथा रंगने में होता है।
इरीडियम - इरीडियम चमकदार श्वेत रंग की अत्यंत कठोर धातु है। सघन अवस्था में यह अम्लराज में भी नहीं घुलता, परंतु चूर्ण धातु अम्लराज में घुलकर क्लोराइड (IrCl4) बनाती है। इरीडियम के ३ तथा ४ संयोजकता के यौगिक मिलते हैं। इरीडियम में कुछ अम्लीय गुणप्रधान यौगिक मिलते हैं, जैसे (K2IrCl6) इसके अनेक जटिल यौगिक भी ज्ञात हैं।
प्लैटिनम को कठोर करने में इरीडियम का मुख्य उपयोग होता है। प्लैटिनम-इरीडियम मिश्रधातु के आदर्श मानक, बाट आदि बनाए जाते हैं। इरीडियम के कुछ यौगिक फोटोग्राफी उद्योग में काम आते हैं।
प्लैटिनम - प्लैटिनम भूरे-श्वेत रंग की धातु है। विशुद्ध अवस्था में यह घातवर्ध्य तथा तन्य है। चूर्ण अवस्था में यह हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन का अवशोषण करती है। प्लैटिनम में उत्तम उत्प्रेरक गुण है। यह आक्सीजन तथा अम्लों से प्रभावित नहीं होता है। यह केवल अम्लराज में घुलकर क्लोरोंप्लैटिनिक अम्ल (H2PtCl6) बनाता है। क्षार पेराक्साइड (alkali peroxide) उच्च ताप पर प्लैटिनम से क्रिया करते हैं। २५०रू सें. ताप पर इसकी क्लोरीन से प्रतिक्रिया द्वारा प्लैटिनम क्लोराइड (PtCl2) का निर्माण होता है। इसी परिस्थिति में फ्लोरीन से (PtF4) बनेगा। उच्च ताप पर गंधक, सिलीनियम और टेल्यूरियम इसपर आक्रमण करते हैं।
यद्यपि प्लैटिनम अधिकतर तत्वों की तुलना में निष्क्रिय है, तथापि इसके अनेक यौगिक मिलते हैं। दो संयोजकतावाले यौगिक प्लैटिनस और चार संयोजकता के प्लैटिनक कहलाते हैं। प्लैटिनस क्लोराइड (PtCl2) तथा प्लैटिनक क्लोराइड (PtCl4) इसके उदाहरण हैं। प्लैटिनम के समस्त ऑक्सिजन यौगिक अस्थायी होते हैं।
प्लैटिनम के अनेक सहसंयोजी (co-ordination) यौगिक ज्ञात हैं जैसे क्लोरोप्लैटिनस अम्ल (H2PtCl4), क्लोरोप्लैटिनिक अम्ल (H2Pt Cl6)। क्लोरोप्लैटिनिक अम्ल के पोटैशियम लवण (K2 Pt Cl6) की विलेयता अत्यंत न्यून है। इस कारण यह पोटैशियम विश्लेषण के लए उत्तम यौगिक सिद्ध हुआ है। बेयिम प्लैटिनोसाइनाइड (BaPt (CN)4, 4H2O) पीले रंग का चूर्ण है, जिसकी संदीप्ति के गुण के करण इसे एक्स किरण के परदे (X-ray screens) बनाने के काम में लाते हैं। प्लैटिनम अत्यंत उपयोगी धातु है और अनेक वैज्ञानिक तथा औद्योगिक कार्यों में अपने उच्च गलनांक, न्यून क्रियाशीलता, उत्तम घातवर्ध्यता और तन्यता के कारण काम आता है। इसकी नलिकाएँ, वाल्ब, रासायनिक क्रियाओं के उपकरण, विद्युदग्र, तश्तरियाँ, मूषाएँ, वाट आदि वैज्ञानिक कार्यों के प्रति दिन प्रयुक्त होते हैं। उत्प्रेरक के रूप में प्लैटिनम का उपयोग सल्फ्यूरिक अम्ल उद्योग, अमोनिया से नाइट्रिक अम्ल बनाने में (हार्ब विधि), कार्बनिक पदार्थों के हाइड्रोजनीकरण आदि में हो रहा है।
दंतचिकित्सा में प्लैटिनम बहुत आवश्यक धातु है। इस कार्य के लिए विशुद्ध प्लैटिनम तथा मिश्रधातु दोनों काम आते हैं। अन्य शल्यचिकित्सा यंत्रों में भी प्लैटिनम का आवश्यक स्थान है। विद्युत् उद्योगों में प्लैटिनम यथार्थ प्रतिरोधक (accurate resistance), उच्च तापमापी स्विच, वोल्टता नियंत्रक आदि बनाने में प्रयुक्त हो रहा है।
परंतु समस्त प्लैटिनम की आधी मात्रा आभूषण व्यवसाय में काम आती है। इसको तथा प्लैटिनम-इरीडियम मिश्रधातु को हीरे तथा अन्य रत्नों की जड़ाई के काम में लाते हैं। (रमेश चंद्र कपूर)