प्लांक (जन्म : कील, २३ अप्रैल, १८५८; मृत्यु : गार्टिगेन, ४ अक्टूबर, १९४७) मैक्स कार्ल एर्न्स्ट लुडविक प्लांक (Plank) के पिता जुलियस विलहेल्म प्लांक संविधानीय कानून के प्रोफेसर थे। मैक्स प्लाक ने गणित तथा भौतिकी की शिक्षा, पहले म्यूनिख में और बाद में बर्लिन में, किरखाँफ तथा हेल्महोल्ट्स से, प्राप्त की। कदाचित् किरखॉफ के प्रभाव के कारण ही प्लांक ने उष्मागतिकी का विशेष अध्ययन किया और इस विषय मे ही उन्हें पी-एच.डी. की डिग्री सन् १८७९ में मिली। सन् १८८० में वे म्यूनिख में लेक्चरर नियुक्त हुए। सन् १८८५ में वे कील में तथा सन् १८८९ में, किरखॉफ के देहावसान के बाद उन्हीं की जगह, बर्लिन में प्रोफेसर नियुक्त हुए। सन् १९३० में वे विज्ञान की उन्नति के लिए स्थापित कैसर विलहेल्म संस्था के प्रधान चुने गए। सन् १९१८ में इन्हें नाबेल पुरस्कार दिया गया एवं सन् १९२६ में ये लंदन की रॉयल सोसायटी के विदेशी सदस्य चुने गए।
इनका मुख्य कार्य, जिसके कारण वैज्ञानिक संसार में इन्होंने विशेष ख्याति प्राप्त की, क्वांटम (quantum) का सिद्धांत है, जिसे इन्होंने सन् १९०० में प्रतिपादित किया। इसके अनुसार ऊर्जा छोटे छोटे कणों के रूप में प्रवाहित होती है। इस सिद्धांत के विकास से भौतिकी का स्वरूप ही बदल गया है। प्लांक को पहाड़ों पर चढ़ने तथा पियानो बजाने का शौक था। अक्सर आइन्स्टाइन के वायलिन के साथ वे पियानों बजाते थे।
सं.ग्रं. - प्लांक : सांइटिफ़िक ऑटोबॉयग्राफी, नेचर, १६१, १३, १९४८। (रामनिवास राय)