प्रीस्टली, जे.बी. (ज. १८४९) अंग्रेजी उपन्यासकार, नाटकाकार एवं निबंध लेखक। जन्मस्थान ग्रेड-फोर्ड-यार्कशायर, पिता अध्यापक। प्रथम विश्वयुद्ध में सैनिक कार्य करने के पश्चात् केंब्रिज के ट्रिनिटी कालेज से अंग्रेजी, इतिहास, राजनीति में विशेष योग्यता। १९२२ से लंदन में रहकर साहित्य की बहुमुखी सेवा। १९२९ में 'दि गुड कंपेनियन' नामक उपन्यास से ख्याति। इसमें सामाजिक दबाव संकट से निकलकर सुंदर रंगीन जीवन का चित्रण किया गया है। १९३० में 'एंजिल पेवमेंट' उपन्यास में कार्यालय कर्मचारियों की अनुचित ढंग से पैसा बनाने की प्रवृत्ति का व्यगांत्मक चित्रण है। इंग्लिश जर्नी, लेट दी पिपुल्स सिंग (१९३९) विश्वयुद्ध के अनुभव पर आधारित उपन्यास 'ब्लैक आउट इन ग्रेटले', 'डे लाइट आन सैटरडे' (१९४३) सफल कृतियाँ हैं। इनके उपन्यासों का चलचित्र विशेष प्रसिद्ध हुआ। वे १९४७-४८ में अंतरराष्ट्रीय थियेटर संमेलन के अध्यक्ष थे तथा १९४६-४७ में इंग्लैंड की ओर से यूनेस्को के प्रतिनिधि। वे स्पष्टवादी, भगवत्परायण, कट्टर अंग्रेज, कुशल वक्ता, समाचारप्रसारक तथा देशभक्त साहित्यकार हैं। उनकी पुस्तकों 'मिड नाइट ऑन दी डेज़र्ट', 'रेन अपॉन गार्डस हिल' का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ और लाखों प्रतियाँ बिकीं। १९३२ से 'डेंजर्स कार्नर' के साथ नाटककार के रूप में अवतरित हुए। उन्होंने नाटक कंपनियों का संचालन तथा सफल फिल्म निर्माण किया। वे परंपरागत नाटक शैली से हटकर नई प्रकार की शैली को अपनाने में सफल हुए। 'एडेन ऐंड', 'टाइम ऐंड दि कानवेज़', 'आई हैव बीन हीयर बिफ़ोर', 'इंसपेक्टर्स काल', 'ड्रैगंस माउथ' इनके सफल नाटक हैं। 'दि लिंडेन ट्री' में विश्वयुद्ध के पश्चात् मध्यम वर्गीय परिवार की समस्या का चित्रण है। 'एप्स ऐंड एजिंल्स' तथा 'ए फ्रॉलिक' उनके विशिष्ट निबंधग्रंथ हैं। उन्होंने अंग्रेजी उपन्यास का संक्षिप्त इतिहास, 'दि इंगलिश कॉमिक कैरेक्टर्स' तथा 'मेरिडिथ' के संबंध में साहित्यिक ग्रंथ की रचना की। इनके सभी उपन्यास एवं नाटक आलोचना, व्यंग तथा आमोद से पूर्ण हैं। वे समसामयिक समस्या के सुलझाने के लिए जनता से वर्गवाद, लोभ और संग्रह का अंत चाहते हैं। 'दि लास्ट ट्रंप' (१९३८) में पूँजीवाद का चित्रण किया गया है। (गिरींद्र नाथ शर्मा)