प्रतिलोमीकरण (Inversion) शब्द ज्यामितीय चित्रों के अध्ययन में प्रयुक्त होता है। साधारण दशा में माना कि किसी सरल रेखा OPx पर OP = k है, तो हम ऐसे अनगिनित बिंदु P1, P2 ... ज्ञात कर सकते हैं कि OP1. OP2 = k2 रहे, प्रतिलोमीकरण कहते हैं। जैसे जैसे P1 बिंदु O की ओर बढ़ता जाता है, P2 �बिंदु O से दूर हटता जाता है। जैसे जैसे P1 बिंदु P के निकट आता है, P2 बिंदु P की ओर उपगमन करता है। सामान्यत: हम कह सकते हैं कि जब xy = K2 है, तो x और y प्रतिलोमनुपाती होते हैं, एक राशि के वृद्धिमय होने पर दूसरी राशि ्ह्रासमय होती है।
R त्रिज्यावाले वृत्त में दो बिंदु p और q प्रतिलोम कहे जाते हैं, यदि वे केंद्र के साथ सरेखिक होते हुए उसके एक ही ओर अवस्थित हों और यदि उनकी केंद्र से दूरियों का गुणनफल R2 हो।
अत: यदि वृत्त का समीकरण
� z - z0� = R हो, तो p = z0 + 1 e 1l तथा
q = z0 + R2 होगा, जिसमें Cp = 1 है। (स्व. मो. शा.)