प्रकाशकिरण क्रियामापी (ऐक्टिनोमीटर, Actinometer) ऐसे उपकरणों को कहते हैं जिनसे प्रकाश की किरणों के प्रभाव को नापा जाता है। यह प्रभाव (१) ऊष्मा संबंधी, या (२) रासायनिक हो सकता है।
प्रथम प्रकार के प्रभाव को नापने के लिये जिस यंत्र का प्रयोग किया जाता है उसे पाईहीलिओमीटर (Pyrheliometer) कहते हैं। इसमें सूर्य, या अन्य किसी उद्गम, से आनेवाले प्रकाश को निश्चित क्षेत्र तथा ऊष्माधरितावाली काली चकती पर सीमित समय तक पड़ने देने से उत्पन्न तापवृद्धि को नापा जाता है और इस प्रकार भिन्न प्रकाशों के प्रभावों की तुलना की जाती है।
ऐक्टिनोमीटर शब्द का प्रयोग अब प्राय: प्रकाश का रासायनिक प्रभाव नापेवाले उपकरण के लिये होता है। इसका प्रयोग मुख्यत: फोटोग्राफी में किया जाता है। तब इसे एक्सपोज़रमापी कहते है। इसमें सुग्राहीकृत (Sensitized) ब्रोमाइड कागज पर प्रकाश पड़ने देते हैं। इसससे उसका रंग बदलता जाता है। मानक रंग का हो जो में जितना समय लगता है, उससे प्रकाश के प्रभाव की माप मिल जाती है।
एक अन्य प्रकार के प्रकाशकिरण क्रियामापी में प्रकाश को सिलीनियम सेल पर डालते हैं। प्रकाश की तीव्रता के अनुसार सिलीनियम की प्रतिरोध शक्ति परिवर्तित हो जाती है और सेल की विद्युद्धारा में भी तदनुरूप परिवर्तन होता है, जिसे साथ में लगे धारामापी (गैल्वैनोमीटर, Galvanometer) द्वारा नापा जाता है।
(भगवानदास वर्मा)